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गणेश प्रतिमाएं तैयार करते हुए।

-देवव्रत सिंह हाडा-
कोटा। भगवान को रूप बदलते हुए किसी ने नहीं देखा, सिर्फ किस्से, कहानियो और कथाओं में ही सुना होगा, लेकिन इस साल गणेश महोत्सव के दौरान ऐसा होने जा रहा है। गणेश चतुर्थी पर स्थापित होने वाले गणपति 10 दिन के महोत्सव के बाद रूप बदलेंगे और पौधे का रूप धारण कर प्रदूषण रूपी राक्षस को परास्त करने का संदेश देंगे। यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन यह सच है। इस खास मौके पर पगमार्क फाउंडेशन द्वारा इको फ्रेंडली प्रतिमाएं तैयार कर रहे है।  प्रतिभाओं को लोगों को वितरित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे।

देवव्रत हाडा

ऐसे बनाई गई प्रतिमाएं:
पगमार्क फाउंडेशन के संयोजक निमिष गौतम ने बताया कि यह प्रतिमाएं मिट्टी से तैयार की गई हैं, यह 10 इंच के करीब ऊंची होंगी, इनको मिट्टी के साथ विभिन्न प्रकार के फल व सब्जियों के बीजों से तैयार किया गया है। गणपति के नैन नक्शों को इन्ही रंग-बिरंगे बीजों से सजाया भी गया है।

ईको फ्रेण्डली गणेश प्रतिमाएं।

गमले में करेंगे विसर्जन
लोग आमतौर पर जलाशयों में प्रतिमाओं को विसर्जित करते है, लेकिन इनको गमलों में विसर्जित किया जाएगा। जल अर्पित करने से बीज धीरे धीरे अंकुरित होंगे और पौधे का रूप धारण कर लेंगे। यह गणपति भक्ति व पर्यावरण का पाठ पढ़ाएंगे। पगमार्क फाउंडेशन द्वारा 500 प्रतिमाएं बनाई गई है, जिसे निशुल्क वितरित किया जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण जरूरी है

फाउंडेशन के सनी मलिक ने बताया कि पीओपी की मूर्तियों का बहिष्कार जरूरी है, हर साल सैकड़ों प्रतिमाएं विसर्जित की जाती है, इससे पानी प्रदूषित होता है। प्रतिमाओं में इस्तमाल किए जा रहे रसायनिक रंगो से जल जीवो पर खतरा मंडराता है। इसी को देखते हुए छोटी सी इको फ्रेंडली गणपति प्रतिमाएं बनाई गई है। प्रतिमाओं में छायादार वृक्ष के बीज लगाए गय है ताकि विसर्जन के बाद भी गणेश महोत्सव यादगार हो जाए। फाउंडेशन के यतेन्द्र सिंह नागदा ने बताया कि प्रतिमाओं में मिट्टी, गोंद, गैरू, चुना, रूई का इस्तमाल किया गया है।

(लेखक पगमार्क फाउण्डेशन के संस्थापक और वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। मोबाइल नं 9680243737)

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