महाराणा प्रताप की जयंती समारोह पर व्याख्यानमाला

जिस पौरुष की प्रबल कहानी सारी धरती गाती है । उसका वंदन करके मेरी कलम धन्य हो जाती है।। पत्थर पत्थर आड़ावल का यह आवाज लगाता है। ए धरती के सूरज सुन रे तुझ को देश बुलाता है।। - कवि जगदीश सोनी जलजला

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कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में महाप्रतापी योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती समारोह पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि जगदीश सोनी, प्रांतीय अध्यक्ष हिन्दी साहित्य भारती, अध्यक्षता प्रशांत टहलानी कोषाध्यक्ष हिन्दी साहित्य भारती कोटा इकाई , विशिष्ट अतिथि लोकेश मृदुल , गेस्ट ऑफ ऑनर रमेश चौहान सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी शिक्षा विभाग कोटा,विशेष आमंत्रित सदस्य बिगुल जैन सेवानिवृत उप मुख्य अभियंता तापीय परियोजना, रबीन्द्र विश्नोई मंथन पुस्तक के लेखक, चन्द्रशेखर सिंह इत्यादि रहे। कार्यक्रम का संचालन डा शशि जैन ने किया। कार्यक्रम संन्यवयक रामनिवास धाकड़ परामर्शदाता, कार्यक्रम प्रबंधन रोहित नामा ने किया।

उदघाटन सत्र में डा दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि – “महाराणा प्रताप ने हमें सिखाया कि स्वाभिमान से बड़ा कोई धन नहीं होता। आज के युवाओं को भी चाहिए कि वे अपने आत्मबल, संकल्प और देशभक्ति से नए भारत की नींव मजबूत करें। चलिए प्रण करें—जीवन में सिर झुके नहीं, इरादे रुके नहीं।

मुख्य अतिथि जगदीश सोनी “जलजला” ने कहा कि – जिस पौरुष की प्रबल कहानी सारी धरती गाती है । उसका वंदन करके मेरी कलम धन्य हो जाती है।।पत्थर पत्थर आड़ावल का यह आवाज लगाता है। ए धरती के सूरज सुन रे तुझ को देश बुलाता है।।

अध्यक्षता कर रहे प्रशांत टहलानी ने कहा कि – “शक्ति का वह स्त्रोत अनूठा स्वयं सूर्य का ताप था। मरु माटी का पूत हमारा वो राणा प्रताप था। समय स्वयं जब सर्वश्रेष्ठ अपना धरती पर बोता है। तब जाकर मरुमिट्टी में महाराणा पैदा होता है।

विशिष्ट अतिथि लोकेश मृदुल ने कहा कि – “देखा नहीं सुना कभी कोई महावीर यहाँ , जिसकी कहानी में भी नहीं अनुबन्ध है। जिसने उठा के भाला ऐसा इतिहास रचा, मुगलों की थातियों में भय के निबन्ध हैं। शत-शत नमन करूँ मैं ऐसे शूरमा को, जिसने उड़ाई स्वाभिमानी मकरन्द है। अपने प्रताप के प्रताप से धरा भी धन्य, ये प्रताप मेरे इस देश की सुगन्ध है।

गेस्ट ऑफ ऑनर रमेश चौहान ने कहा कि – परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, आत्मबल और संकल्प से बड़ा कोई शस्त्र नहीं। विशेष आमन्त्रित अतिथि चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि – युवा वही, जो विपरीत परिस्थितियों में भी झुकता नहीं, टिकता है। इसी प्रकार बिगुल जैन ने कहा कि – माटी के लिए मर मिटना हो तो महाराणा बनो | लेखक रबीन्द्र ने कहा कि – स्वतंत्रता कोई उपहार नहीं, यह तप, त्याग और संघर्ष से अर्जित होती है।

 

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