
-डॉ. रामावतार सागर-

जीवन सही दिशा में चलाती है राखियां
भटके अगर तो रस्ता बताती हैं राखियां
बहनों का प्यार हाथ सजाती है राखियां
माथे पे टीका जब भी लगाती है राखियां
तैनात हैं जवान जो सीमा पे हर समय
जिम्मा हिफ़ाजतो का उठाती हैं राखियां
सूनी कलाइयों से कभी पूछना जाकर
बहना बिना ये कितना रुलाती है राखियां
आंखें लगी ही रहती है दरवाज़े खिड़की पर
जब तक गली में दिखती दिखाती है राखियां
ससुराल में आती है विदा हो के पहली बार
शर्मो हया से कितनी लजाती है राखियां
जन्नत अधूरी इनके बिना मिल भी जाये जो
सागर बहन बेटी से मिलाती है राखियां
डॉ. रामावतार सागर
कोटा राजस्थान
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