
-देवेंद्र यादव-

” आस बंधाकर ओ बेदर्दी लीनी ना मोरी खबरिया, मोहे भूल गए सांवरिया”। बिहार में कांग्रेस का आम कार्यकर्ता शायद इस पुरानी फिल्म का गाना गुनगुनाने को मजबूर है।
बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव में तीन लोकसभा सीट जीतने के बाद हाई कमान को लगने लगा था कि यदि बिहार में ध्यान देकर पार्टी को मजबूत किया जाए तो 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने का बेड़ा राहुल गांधी ने उठाया और लगातार बिहार के तीन दौरे किए। बिहार कांग्रेस में तीन बड़े बदलाव किए। इससे बिहार के आम कार्यकर्ताओं को लगा कि कांग्रेस मजबूत होगी। कार्यकर्ताओं को लगने लगा कि जैसा राहुल गांधी कहते हैं कि कांग्रेस के भीतर बैठे स्लीपर सेलों को बाहर कर बिहार में नई कांग्रेस खड़ा करेंगे और उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो देंगे जो लगातार जनता के बीच काम कर रहे हैं। जो ईमानदार हैं और कांग्रेस के प्रति वफादार हैं। राहुल गांधी की बात पर भरोसा कर कांग्रेस का आम कार्यकर्ता ने मात्र दो महीने में बिहार के अंदर ऐसा माहौल बनाया की लगने लगा कि कांग्रेस एक बार फिर से मजबूती के साथ खड़ी हो गई है। मगर जैसे ही कांग्रेस और राजद नेताओं की बैठकों का दौरा शुरू हुआ तो कांग्रेस का आम कार्यकर्ता मायूस और कुंठित हो गया। इसकी झलक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बिहार में संविधान बचाओ रैली में नजर आई जहां भीड़ ही नहीं थी। इससे भी कांग्रेस हाई कमान ने बिहार के अंदर कोई सबक नहीं सीखा। की बिहार में कांग्रेस के भीतर बड़े-बड़े स्लीपर सेल हैं जो राहुल गांधी को चुनौती दे रहे हैं और बता रहे हैं कि कांग्रेस से हम नहीं हमसे है कांग्रेस। इसकी झलक गत दिनों इंडिया गठबंधन की पटना में हुई तीसरी बैठक के दिन दिखाई दी। बैठक के मंच पर इंडिया गठबंधन का बैनर दिखाई दिया जिसमें केवल एक नेता तेजस्वी यादव की फोटो थी। राहुल गांधी इंडिया गठबंधन की तरफ से भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक आवाज उठा रहे हैं। ऐसे नेता की इंडिया गठबंधन की बैठक के बैनर पर छोटी सी भी फोटो नजर नहीं आई। बरसों से कुंडली मारकर बैठे बिहार के कांग्रेसी नेता मीडिया पर यह कहते हुए सुनाई दिए कि बिहार का नेता केवल तेजस्वी यादव हैं और भावी मुख्यमंत्री हैं। सवाल उठता है कि क्या बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस स्पष्ट रूप से दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक हिस्सा वह जो बिहार में राहुल गांधी के द्वारा दिल्ली से भेजे गए दूत कृष्णा अल्लावरु हैं जो नई लीडरशिप डेवलप कर बिहार में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं। दूसरा हिस्सा वह है जो लंबे समय से बिहार की राजनीति में कुंडली मारकर बैठे नेताओं का है। यह गुट नहीं चाहता कि राहुल गांधी बिहार में नई लीडरशिप डेवलप करें। राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष दलित नेता राजेश राम को बनाया। अनेक जिला अध्यक्षों को बदला। इस बदलाव के बाद लग रहा था कि कांग्रेस बिहार में मजबूती के साथ खड़ी होगी लेकिन कांग्रेस हाई कमान की ढुलमुल नीति और राहुल गांधी के अपने ट्रैक से उतरने से लग रहा है कि कांग्रेस जो हमेशा से करती आई है वही बिहार में भी दोहराने जा रही है। यानी निर्णायक मोड़ पर आकर अचानक से कांग्रेस के नेता कंफ्यूज हो जाते हैं और अपना बड़ा नुकसान कर लेते हैं।
बिहार में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले निर्णायक निर्णय लेना चाहिए। मगर कांग्रेस हाई कमान अभी भी बिहार को लेकर कंफ्यूज है और कांग्रेस हाई कमान राजद और उसके नेता तेजस्वी यादव का दबाव महसूस कर रहा है। तेजस्वी यादव कांग्रेस के नेताओं को टिकट बंटवारे के अंतिम समय तक उलझा कर रखना चाहते हैं, क्योंकि कांग्रेस उलझी रहेगी तो, इसका बड़ा फायदा राजद और तेजस्वी यादव को होगा। कांग्रेस के पास अंतिम समय में भागते भूत की लंगोटी के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। कांग्रेस को तेजस्वी यादव के सामने झुकना पड़ेगा और उनकी शर्तों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा। 2024 में कांग्रेस ने यह देखा था जब तेजस्वी यादव ने पप्पू यादव, कन्हैया कुमार और निखिल कुमार के लिए लोकसभा सीट देने से इनकार कर दिया था। जिन सीटों को कांग्रेस मांग रही थी उन सीटों पर तेजस्वी यादव ने राजद के उम्मीदवार खड़े कर दिए। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जहां आधा दर्जन से भी अधिक सीट जीतने को मिलती वहां कांग्रेस को मात्र तीन सीट जीत कर संतोष करना पड़ा।

बिहार का कांग्रेस कार्यकर्ता इस उम्मीद में है कि राहुल गांधी कोई बड़ा कदम उठाएंगे। राहुल गांधी को जो भी निर्णय लेना है वह तुरंत ले। यदि कांग्रेस ने निर्णय लेने में देर की तो इस बार बिहार में कांग्रेस का हश्र वैसा ही होगा जैसा दिल्ली और पश्चिम बंगाल में हुआ था। इस समय बिहार के अंदर कांग्रेस के पक्ष में लड़ते हुए यदि कोई नेता नजर आ रहा है तो वह निर्दलीय सांसद पप्पू यादव हैं। पप्पू यादव ने कार्यकर्ताओं और नेताओं की एक बड़ी बैठक उस समय की थी जब इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक पटना में चल रही थी। पप्पू यादव ने कहा कि पटना के रामलीला मैदान में एक लाख कार्यकर्ता कांग्रेस के समर्थन में राहुल गांधी को विश्वास दिलाएंगे कि 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 100 सीटों पर चुनाव जीतेगी। अब देखना यह है कि राहुल गांधी कब पप्पू यादव के कार्यकर्ताओं की सभा में कार्यकर्ताओं का विश्वास हासिल करते हैं और फैसला लेते हैं कि कांग्रेस बिहार में 100 से भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेंगी !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)