
-देवेंद्र यादव-

जब भी कांग्रेस संगठन में बदलाव करने की चर्चा होती है तब राजनीतिक गलियारों में संगठन महामंत्री के पद की चर्चा अधिक होती है। चर्चा यह होती है कि कांग्रेस के संगठन महामंत्री के राष्ट्रीय पद पर कौन बैठेगा। सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में संगठन महामंत्री के पद को लेकर नेताओं के नाम भी तैरने लगते हैं। दलील भी दी जाती है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री पद पर वर्तमान में केरल से लोकसभा सांसद केसी वेणुगोपाल हैं। केरल में विधानसभा के चुनाव होने हैं और वेणुगोपाल केरल में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं इसलिए उन्हें हटाकर किसी दूसरे नेता को कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर बैठाया जा सकता है। शायद कांग्रेस के संविधान में राष्ट्रीय महामंत्री जैसा कोई पद होता नहीं था। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद जब श्रीमती सोनिया गांधी राजनीति में आई और उन्होंने कांग्रेस की कमान संभाली तब कांग्रेस के भीतर राष्ट्रीय महामंत्री का पद अचानक से अवतरित हुआ और श्रीमती सोनिया गांधी को हिंदी सीखाने वाले जनार्दन द्विवेदी इस पद पर आसीन हुए।
सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस के संगठन महामंत्री के पद का सृजन होने के बाद कांग्रेस का संगठन मजबूत हुआ या फिर कमजोर हुआ। यदि कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखें तो कांग्रेस मजबूत नहीं बल्कि कमजोर हुई है।
यदि राष्ट्रीय महामंत्री पद के सृजन की बात करें तो इस पद ने कांग्रेस को तो मजबूत नहीं किया मगर 15 वर्षों में अनेक राज्यों में स्वयंभू नेता खूब मजबूत हो गए। इतने मजबूत हो गए कि उन पर गांधी परिवार और पार्टी हाई कमान का असर भी पड़ते हुए दिखाई नहीं देता है। कांग्रेस के भीतर आज जो नेता कुंडली मारकर बैठे हैं उसकी असल वजह कांग्रेस का राष्ट्रीय महामंत्री पद ही है। गांधी परिवार आज तक नहीं समझ पाया कि कांग्रेस का राष्ट्रीय महामंत्री पद कांग्रेस और गांधी परिवार को मजबूत करने के लिए नहीं बनाया गया था बल्कि इसलिए बनाया गया था कि कांग्रेस के स्वयंभू नेता स्वयं मजबूत होते रहें और सत्ता और संगठन की मलाई खाते रहें। कांग्रेस का संगठन महामंत्री का पद ही है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान में सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ में सिंह देव मुख्यमंत्री नहीं बन सके। उनकी जगह अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। राष्ट्रीय महामंत्री के पद के कारण ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकी।
आज जो कांग्रेस कमजोर है उसका कारण कांग्रेस का राष्ट्रीय महामंत्री का पद है। इस पद का सृजन इसलिए किया गया था उस समय श्रीमती सोनिया गांधी ने राजनीति में अपना कदम रखा था। सोनिया गांधी को मोटिवेट करने के लिए इस पद का सृजन किया था लेकिन इसका फायदा उन चालाक नेताओं ने उठाया और उठा रहे हैं जो सोनिया गांधी से मिलने के लिए भी लाइन में खड़े होते थे। तब सोनिया गांधी और जनता के बीच सेतु का काम गांधी परिवार के भरोसेमंद बी जॉर्ज किया करते थे। मगर बड़ी ही चतुराई से चालाक नेताओं ने जार्ज को 10 जनपद से दूर किया और उसका स्थान राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के नाम पर स्वयंभू नेताओं ने लिया। जिसका कांग्रेस को फायदा हो या ना हो स्वयंभू नेता तो सत्ता और संगठन में मजे कर रहे हैं।
अब गांधी परिवार के तीनों सदस्य राजनीतिक रूप से परिपक्व हो गए हैं इसलिए तीनों सदस्यों को अब राष्ट्रीय महामंत्री पद जैसी कोई जरूरत नहीं है। इसलिए कांग्रेस के लिए बेहतर होगा इस पद को समाप्त कर देना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस में राष्ट्रीय महामंत्री का पद कांग्रेस को मजबूत करने की नीयत से बना ही नहीं था बल्कि यह पद उन नेताओं ने अपनी राजनीतिक मजबूती के लिए बनाया था जो नेता सोनिया गांधी से सीधे मिलने की हैसियत भी नहीं रखते थे। आज वह नेता राष्ट्रीय महामंत्री के पद का उपयोग कर इतना मजबूत हो गए हैं कि अब वह गांधी परिवार को ही आंख दिखा रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)