
-राजेन्द्र गुप्ता-
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मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी के रूप में जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय तथा देव खंडोबा बाबा को समर्पित है। खंडोबा बाबा को मार्तण्ड भैरव और मल्हारी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव के एक अन्य स्वरूप हैं।
कब है? चम्पा षष्ठी
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चम्पा षष्ठी 07 दिसंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। चंपा षष्ठी का उत्सव विशेष रूप से पुणे और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में मनाया जाता है।
चम्पा षष्ठी शुभ मुहूर्त
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षष्ठी तिथि 06 दिसम्बर 2024 को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर प्रारंभ होगी।
षष्ठी तिथि का समापन 08 दिसम्बर 2024 को सुबह 11 बजकर 05 मिनट पर होगा।
यहां होता है चम्पा षष्ठी पर मेले का आयोजन
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जेजुरी में स्थित खंडोबा मंदिर में इस पर्व का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस अवसर पर हल्दी, फल, सब्जियां आदि खंडोबा देव को समर्पित की जाती हैं। यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान शिव की पूजा की जाती है, जिसमें भगवान शिव के मार्तण्ड रूप की विशेष आराधना की जाती है।
चंपा षष्ठी पर्व का महत्व
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चंपा षष्ठी का पर्व अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन, मार्तण्ड भगवान सूर्य का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद सूर्यदेव को नमस्कार किया जाता है। और उनकी पूजा की जाती है। इस अवसर पर शिव का ध्यान भी किया जाता है। और शिवलिंग की पूजा की जाती है, जिसमें दूध और गंगाजल अर्पित किया जाता है। भगवान को चंपा के फूल चढ़ाने की परंपरा है। इस दिन भूमि पर शयन करने का भी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा और व्रत से पापों का नाश होता है, परेशानियों का समाधान होता है। और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. चंपा षष्ठी के प्रारंभ और इसकी मान्यताओं के बारे में विभिन्न मत प्रचलित हैं।
इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान से मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायता मिलती है। चंपा षष्ठी की कथाओं को स्कंद षष्ठी से जोड़ा जाता है, और इसे खंडोबा देव या षष्ठी तिथि से भी संबंधित माना जाता है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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