
कोटा। अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति राजस्थान एवं हिन्दी साहित्य समिति बूंदी के संयुक्त तत्वावधान में राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय में रामस्वरूप मुंडदा के काव्य संग्रह “कविताओ के इंद्रधनुष” एवं गजल संग्रह “ वक्त हाथ मे कलम लिए” का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार जितेंद्र निर्माेही और अध्यक्षता बृजेन्द्र कौशिक ने की। बीज व्यक्तव्य विशिष्ट अतिथि डा दीपक कुमार श्रीवास्तव ने दिया। कृति परिचय वरिष्ठ साहित्यकार स्नेहलता शर्मा ने तथा कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ समीक्षक विजय जोशी एवं साहित्यकार नहुष व्यास ने किया। विशेष आमंत्रित अतिथि प्रोफेसर हितेश व्यास रहे। कार्यक्रम मे काव्य संग्रह “कविताओं के इंद्रधनुष” की मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डा अनीता वर्मा तथा गजल संग्रह “ वक्त हाथ मे कलम लिए” के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डा रामवातार सागर रहे। आभार यूगेश कुमार मुंडदा ने दिया। सरस्वती वंदना डा शशि जैन ने प्रस्तुत की।
इस अवसर पर 84 वर्षीय वरिष्ठ साहित्यकार रामस्वरूप मुंदड़ा का अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे हाड़ौती अंचल की प्रमुख साहित्यक संस्थाओ ने उनका अभिनंदन किया। संस्थाओ के प्रमुख जिन्होने इस कार्यक्रम मे मुख्य भूमिका निभाई उनमे बूंदी से पधारे नारायण सिंह जाडावात ( हिन्दी साहित्य समिति बूंदी) , प्रकाश कसेरा परचम (अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति) , चन्द्रदत्त तृषित , डा राजेन्द्र निर्मल , नंदलाल राव , मोहन लाल शर्मा, रेखा पंचोली (आर्यन लेखिका मंच), स्नेहलता शर्मा (रंगीतिका कला साहित्य संस्थान), रामेशवर शर्मा “रामू भैया” (अखिल भारतीय साहित्य परिषद ), किशन लाल वर्मा ( विकल्प जन सांस्कृतिक मंच ) ,प्रेम शास्त्री (मधुकर काव्य सृजन संस्थान ) राजेन्द्र पँवार (साहित्य सृजन संस्थान ) आनद हजारी (आर्यवृत साहित्य समिति) राम करण प्रभाती (सारंग साहित्य समिति ) बद्री लाल दिव्य ( चंबल साहित्य समिति ), रघुराज सिंह कर्मयोगी – साहित्य समिति भीमगंजमंडी कोटा इत्यादि ने सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि जितेंद्र निर्माेही ने कहा कि – कोई भी कृति उस क्षेत्र की संस्कृति को रुपायित करती है। रामस्वरूप मूंदड़ा का गजलकार समसामयिक भी है और ग़ज़ल की उस रवायत को भी समझता है जहां आज की ग़ज़ल खड़ी है,तदानुरुप ही उनका समकालीन काव्य है। दोनों कृतियों में मूंदड़ा जी का अनुभव बोलता है।
बीज व्यक्तव्य देते हुये डा दीपक ने कहा कि आपका गजल संग्रह लेखन आपने बूंदी के सार्वजनिक पुस्तकालय की 300 से अधिक पुस्तकों के अध्ययन उपरांत प्रारम्भ किया।
अध्यक्षता कर रहे बृजेन्द्र कौशिक ने कहा कि “साहित्यकार को सावचेत होकर काव्य सृजन करना चाहिए मुंडदा जी की एक खूबी इस गजल संग्रह मे देखने मे आई है कि यह गजल उनकी दोहा रूप मे है। डा अनीता वर्मा ने कहा कि रामस्वरूप मुंडदा समकालीन काव्य में उस स्थान पर खड़े हैं जहां कवि स्वयं अपनी भाषा और शिल्प का निर्माण कर लेता है। डा रामवातार सागर ने कहा कि रामस्वरूप मुंडदा की गजलंे जदीद सायरी का निर्वाह करती हैं। विजय जोशी ने समकालीन काव्य और गजल की रवायत को समझाते हुये शानदार संचालन किया।