
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा में भाजपा सरकार के मंत्री द्वारा इंदिरा गांधी को दादी कहने पर, विधानसभा से लेकर सड़क तक विरोध किया। यह विरोध निरंतर जारी है। मगर सवाल यह है कि क्या इस विरोध से राजस्थान की जनता का भला होगा या कांग्रेस के उन नेताओं का भला होगा जो कागजी शेर बनकर, 2028 में होने वाले विधानसभा चुनाव की घोषणा होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
जहां तक भाजपा के नेताओं और मंत्री के द्वारा श्रीमती इंदिरा गांधी पर टिप्पणी करने का सवाल है, 2014 में केंद्र में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई तब से लेकर अभी तक संसद के जितने भी सत्र चले उन सत्रों में नेहरू इंदिरा और राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के मंत्रियों ने अनेक बार टिप्पणियां की हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेता और मंत्री गांधी परिवार पर निरंतर हमले करते हुए देखे जा सकते हैं। मगर कांग्रेस के नेता खामोशी से यह सब नजारा देखते रहे। इस लिहाज से राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार में मंत्री गहलोत की टिप्पणी का पुरजोर विरोध कर बता दिया कि कांग्रेस अब गांधी परिवार पर भाजपा के नेताओं के द्वारा किए जा रहे राजनीतिक हमले को बर्दाश्त नहीं करेगी। राजस्थान में कांग्रेस इस मुद्दे पर एकजुट नजर आ रही है और इसका सारा श्रेय राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली को देना होगा। जूली ने सदन में भाजपा के मंत्री की टिप्पणी का विरोध किया और इस टिप्पणी के खिलाफ राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को एकजुट किया।
मगर सवाल यह है कि इस मुद्दे को लंबे समय तक खींचने से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान होगा। इस मुद्दे से फायदा भाजपा को ही होगा कांग्रेस को नहीं क्योंकि भाजपा ने कांग्रेस को जाल में फंसा लिया।
राजस्थान विधानसभा के सदन में तीन बार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा सरकार से यह नहीं पूछ रहे कि उनके शासनकाल में गरीबों के हित में जो योजनाएं लागू की थी भाजपा सरकार उन योजनाओं के साथ क्या कर रही है। विधानसभा में सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली, शांति कुमार धारीवाल जैसे दिग्गज और कद्दावर नेता मौजूद हैं। विधानसभा के बजट सत्र में यह नेता भाजपा सरकार से पूछते कि कांग्रेस सरकार में जिन योजनाओं को प्रदेश की जनता के हित में लागू किया था और जिसका लाभ प्रदेश की आम जनता को मिल रहा था उन योजनाओं का क्या हुआ। क्या वह योजनाएं बंद हो गई या फिर धीमी गति से चल रही हैं।
सड़कों की हालत खस्ता है। कांग्रेस के नेता सदन में चल रहे धरने से उठकर यदि राजमार्ग 52 कोटा झालावाड़ रोड पर दरा की नाल में बार-बार लगने वाले लंबे जाम से निजात दिलवाने की मांग करते तो जाम में फंसने से बीमार मासूम हरिओम की दर्दनाक मौत नहीं होती। बड़ी बात यह है कि हाडोती संभाग के दो बड़े नेता ओम बिरला और मदन दिलावर इसी जाम वाले क्षेत्र से सांसद और विधायक हैं।
हाडोती से ही श्रीमती वसुंधरा राजे राज्य की दो बार मुख्यमंत्री रहीं। वह इसी सड़क सड़क से होकर अपने विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन जाती हैं और इसी सड़क पर अक्सर कई घंटे का जाम प्रतिदिन लगता है।
सवाल यह है कि जनता के दिल में दर्द बहुत है मगर दर्द बताएं किसे क्योंकि सत्ताधारी भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अपने-अपने राजनीतिक अस्तित्व को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)