
-विष्णुदेव मंडल-

चेन्नई। वोटों की खेती और फसल काटने के लिए राजनीति और राजनेता किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हो जाता है। राजनीति फिसलन से भरा बाथरूम बन कर रह गया है, जो आमजन की चिंता कम और अपनी राजनीति और कुर्सी का ध्यान सर्वाधिक रखते हैं।
बहरहाल तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को लेकर राजनीति चरम पर है। जहां तमिलनाडु सरकार राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन एनईपी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी यह जताने का प्रयास कर रही है कि तमिलनाडु में केंद्र सरकार तमिल विरोधी नहीं बल्कि सबसे बड़ा हिमायती है।
बता दें कि शुक्रवार को अराकोनम स्थित की सीआईएसएफ परेड ग्राउंड में गृह मंत्री अमित शाह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसफ) के 56वी स्थापना दिवस के अवसर पर परेड में शामिल हुआ एवं तमिलनाडु सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा केंद्र सरकार तमिल विरोधी नहीं है हमारी सरकार तमिलनाडु सरकार को पिछले दो वर्षों से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल भाषा में कराने की अपील करती रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व पटल पर तमिल भाषा के गौरव का बखान करते हैं। तमिल भाषा और तमिल संस्कृति हमारी धरोहर है, भारत की संस्कृत धारा को मजबूत करने में तमिल का अग्रणी भूमिका रही है,चाहे प्रशासनिक सुधार की बात हो या आध्यात्मिक ऊंचाइयां की तमिल ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को ऊंचाई प्रदान की है।
उन्होंने अपने संबोधन में बताया की अभी तक सीआईएसएफ भर्ती में मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया कि हमारे युवा अब तमिल भाषा सहित आठवीं सूची में शामिल सभी भाषाओं में सीआईएसएफ की परीक्षा दे सकेंगे जबकि पूर्व की किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया।
केंद्र सरकार भारत की सभी मातृभाषा को सम्मान करती है और वहां के पाठ्यक्रम को मातृभाषा में ही पढ़ाने की वकालत भी करती है। लेकिन कुछ राजनीतिक दल अपने क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए अभी भी वही पुरानी घिसी पिटी लाइन पर चल रहे हैं जिसमें तमिलनाडु भी शामिल है। यहां भी तमिलनाडु की भोली भाली जनता को बरगलाने का काम चल रहा है।
वहीं भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने त्रिभाषीय फार्मूला को लेकर दस्तखत अभियान तेज कर दिया है। विगत दो दिनों में तमिलनाडु में लगभग डेढ़ लाख लोगों ने त्रिभाषीय फार्मूला के समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं जो आगामी मैं महीने तक जारी रहेगा।
गौरतलब है कि हस्ताक्षर अभियान विगत बुधवार को तमिलनाडु की अध्यक्ष के अन्नामलै ने शुरू किया था जिसे तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों में अभियान चलाया गया। www.puthiyakalvi.in के नाम से संचालित हस्ताक्षर अभियान चेन्नई में तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलईसै सौंदर्यराजन के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। तमिलईसै सौंदर्यराजन के मुताबिक तमिलनाडु पुलिस अभियान को रोक रही है। वहीं बीजेपी राज्य इकाई के सचिव श्रीनिवासन मदुरई में अभियान चला रहे हैं उनका आरोप था की डीएमके उनके अभियान को रोकने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है एवं जो तमिलनाडु के लोग हिंदी सीखना चाहते हैं उन्हें भाषा पढ़ने से रोका जा रहा है।
वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन एवं उनके पुत्र उदयनिधी स्टालिन इंपोज हिंदी के नाम पर अब तमिलनाडु से बाहरी राज्य कर्नाटक आंध्र प्रदेश केरल पश्चिम बंगाल और पंजाब को भी इंपोज हिंदी के खिलाफ एक जुट करने का प्रयास में लगे हैं। उनका आरोप है कि यदि इंपोज हिंदी के खिलाफ विरोध नहीं किया गया तो यह सभी क्षेत्रीय भाषाओं को निगल जाएगी और देश के एकता अखंडता विविधता में एकता वाली इस देश को भारी नुकसान होगी।
अब सवाल उठता है तमिलनाडु के सरकारी विद्यालयों में विगत 70 सालों से हिंदी का विरोध होता रहा है एवं यहां द्विभाषी फार्मूला से ही शिक्षण संस्थान चलती रही है। बावजूद इसके सरकारी विद्यालयों में 70% छात्रों को अंग्रेजी बोलना और पढ़ना क्यों नहीं आता। कम से कम द्विभाषीय फार्मूला से यहां के छात्र-छात्राओं को तमिल के अलावा अंग्रेजी पर पकड़ तो बेहतर होनी चाहिए।
इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं जो त्रिभाषाय फार्मूला को समर्थन करते हैं उसे मौजूदा सरकार से सरकारी विद्यालयों का सर्वेक्षण करने की करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि तमिलनाडु के बच्चों का बौद्धिक विकास हो रहा है या फिर छलावा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)