महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींच तान जारी

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मुंबई।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद विजेता महायुति में मुख्यमंत्री को लेकर विवाद और असमंजस थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनाव में सर्वािधक सीट जीतने और लगभग बहुमत का आंकडा हासिल करने के कारण भारतीय जनता पार्टी हर हाल में अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी कुर्सी छोडने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि मुंबई के आजाद मैदान में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किए जाने की घोषणा हो चुकी है लेकिन अब तक मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है। यह भी संशय बना हुआ है कि यदि मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिलती तो क्या एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे। समझा जाता है कि आज महाराष्ट्र की सरकार का स्वरूप तय हो सकता है क्योंकि शिंदे मुबई लौट आए हैं।
एकनाथ शिंदे हाल ही कह चुके हैं कि जनता उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहती है। मैंने जनता के लिए काम किया है और मैं जनता का मुख्यमंत्री हूं। इसीलिए लोगों का मानना है कि मैं मुख्यमंत्री बनूं। इस बीच भाजपा विधायक दल की बैठक मंगलवार को होने की संभावना है। इस बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनविस का नाम सबसे आगे है। हालांकि गत दो दिनों से भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर ब्राह्मण बनाम मराठा का विवाद भी सामने आ रहा है। चर्चा यह भी है कि इसी वजह से भाजपा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं कर पा रही है।
हालांकि शिंदे यह भी कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा भाजपा के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जो भी फैसला करेंगे उसे मेरा पूरा समर्थन रहेगा। लेकिन इसे दो तरह से देखा जा रहा है। उन्होंने न तो मुख्यमंत्री पद भाजपा को सौंपने या इस पद पर बने रहने के बारे में कुछ कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा के देवेन्द्र फडनविस तथा अजित पवार के साथ बैठक कर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद के अलावा सत्ता में भागीदारी के बारे में चर्चा करेंगे। यह बैठक सोमवार अथवा मंगलवार को हो सकती है।
शिंदे से रविवार को सतारा जिले के अपने गांव में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जब पूछा गया कि क्या वह अपने बेटे को उपमुख्यमंत्री पद तथा गृह और शहरी विकास विभाग के अलावा विधानसभा अध्यक्ष का पद भी चाहते हैं तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया था। उन्होंने केवल यह कहा था कि महायुति के तीनों घटकदल के नेता साथ बैठकर मंत्री पद और विभाग तय करेंगे। हम ऐसी सरकार देंगे जो लोग चाहते हैं। हमारे काम के बदले में लोगों ने जो भारी जनादेश दिया है, उसके कारण अब हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है।

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