“काले कौवा आ जा । पूस की रोटी खा जा”

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Photo Credit: Nakshatra Shah

-प्रतिभा नैथानी-

प्रतिभा नैथानी

कुमाऊं के चंद वंश में एक राजा हुए कल्याण चंद। कल्याण चंद नि:संतान थे। बहुत मनौतियां मांगने के बाद उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। बेटे का नाम एक चिड़िया के नाम पर रखा गया- ‘घुघुती’। घुघुती अपनी बात मनवाने के लिए जब भी मां से कोई ज़िद करता तो रानी गले में पड़ी उसकी बेहद प्रिय मोतियों की माला किसी कौए को दे देने की बात करती। प्रमाणित करने के लिए किसी कौए को आवाज़ लगाती तो वहां सचमुच एक कौआ आ जाता।

इस तरह बार-बार बुलाने पर कौए और राजकुमार घुघुती में दोस्ती हो गई। राजा का एक विश्वासपात्र मंत्री था, जो घुघुती को मारकर स्वयं राजा का उत्तराधिकारी बनना चाहता था। घुघूती का अपहरण कर जंगल में ले जा वध करना ही चाहता था कि इतने में घुघूती का प्रिय मित्र कौआ वहां आ गया। उसने कांव-कांव करके अन्य कौआ मंडली को भी वहां बुला लिया। सबने मिलकर मंत्री पर आक्रमण कर दिया। उनकी चोंच से चोटिल होकर मंत्री किसी तरह वहां से भागा।

अब कौए ने घुघुती के गले से वह मोतियों की माला निकाल राजमहल की ओर उड़ान भरी। माला देखकर घुघुती की मां को पक्का यकीन हो गया कि इस कौए को पता है घुघूती के बारे में। है। वह सब कौए के पीछे-पीछे चले। और इस तरह राजा-रानी को उनका प्रिय घुघूती फिर मिल गया।

राजकुमार घुघुती और कौवे की दोस्ती की इस कथा को जीवित रखने की परंपरा का नाम ही घुघुतिया त्यार है। प्रतिवर्ष यह मकर सक्रांति के दिन मनाया जाता है। गुड़ और सौंफ के पानी में आटा गूंथ कर उन्हें विभिन्न आकार दिए जाते हैं। दिन-भर धूप में उन्हें सुखाकर रात को तेल में तला जाता है। अगली सुबह उनकी माला बनाकर बच्चों के गले में पहना कर कौऐ को आवाज़ लगाई जाती है और गाना गाते हैं – “काले कौवा आ जा । पूस की रोटी खा जा”।
मनुष्य और पक्षियों के आदिम रिश्ते को महत्ता प्रदान करने का दिन है मकर सक्रांति का यह पर्व।

(कवयित्री, लेखिका एवं डिजिटल क्रिएटर)

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विवेक मिश्र
विवेक मिश्र
2 years ago

बहुत ही प्रेरक कथा प्रसंग है । प्रकृति हमारे हर पर्व के साथ घुली मिली हुई है ।

Shree Ram Pandey
Shree Ram Pandey
2 years ago

मनुष्य का शरीर प्रकृति के पांच तत्वों से मिलकर बना है,प्रकृति हमारी जीवन दायिनी है, सनातन धर्म में गौ पूजा, पक्षियों तथा मछलियों को दाना,श्राद्ध में कौओं, कुत्तों को भोजन कराना, प्रकृति से जोड़ने से जोड़ते हैं प्रतिभा जी ने मनुष्य
और पक्षियों के रिश्ते का सुंदर वर्णन किया है.