पारंपरिक वोट पुन: कांग्रेस की ओर शिफ्ट होने से घबराए घटक दल के नेता!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

इंडिया घटक दल के नेता कांग्रेस पर दोष मढकर क्या साबित करना चाहते हैं। क्या वे अपनी कमजोरी या नाकामियों को छिपाना चाहते हैं या फिर केंद्र की सत्ता की मलाई खाने का मन ललचा रहा है। कुछ तो ऐसा है, वरना यूं ही घटक दल के नेता बार बार-बार कांग्रेस पर आरोप नहीं लगाते। जिन घटक दलों के पास लोकसभा में अच्छी सीटे हैं वे ही ज्यादा आरोप लगा रहे हैं। जबकि इन दलों ने यह सीट इसलिए जीती थी क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली थी। इसके अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ का नारा लोकसभा चुनाव से पहले और लोकसभा चुनाव में बुलंद किया था। इंडिया गठबंधन के घटक दलों की बड़ी कामयाबी में राहुल और खरगे का कम योगदान नहीं था। अब ये घटक दल कामयाबी मिलने के बाद कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस के कारण विभिन्न राज्यों में इंडिया गठबंधन की सरकार नहीं बन पाई। घटक दलों के जो नेता कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रहे हैं उनकी पार्टी एक समय एनडीए घटक दल की सत्ता में भागीदार रही है, क्या उनका मन फिर से सत्ता में रहने के लिए ललचा रहा है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम अभी आए नहीं कि
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कांग्रेस पर आरोप लगाकर एक बार फिर से राजनीतिक गालियारों और मीडिया में सुर्खियां पैदा कर दी। गौर करने वाली बात यह है कि 6 फरवरी को देश ने वह दृश्य देखा जब अमेरिका का सैनिक विमान हथकड़ियां और बेड़िया लगाकर भारतीय नागरिकों को अमृतसर छोड़कर गया। संसद परिसर में इसका विरोध इंडिया गठबंधन के सभी सांसदों ने किया। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का हाथ पड़कर अपने साथ लेकर आए और बाद में दोनों युवा नेताओं के कंधों पर कांग्रेस के वयोवृद्ध राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे ने हाथ रखकर अमेरिका के कृत्य का विरोध किया।
संसद परिसर के इस दृश्य को देखने के बाद सवाल खड़ा होता है कि इंडिया घटक दल के नेता कांग्रेस से चाहते क्या हैं। क्या वह कांग्रेस पर आरोप लगाकर सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं।
यदि कांग्रेस पर आरोप की बात करें तो, आरोप यह लगाया जाता है कि यदि कांग्रेस राज्य विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा करते समय हठ धर्मी नहीं दिखाती तो बिहार सहित कई राज्यों में इंडिया गठबंधन की सरकार बनती। लोकसभा के चुनाव में इंडिया गठबंधन को बड़ी कामयाबी मिली थी और उस कामयाबी में बड़ा हाथ कांग्रेस का था। यदि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे देश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ माहौल नहीं बनाते तो शायद इंडिया गठबंधन के घटक दलों को अधिक सीट जीतने का अवसर नहीं मिलता।
राम गोपाल यादव की पीड़ा असदुद्दीन ओवैसी के बयान को लेकर भी हो सकती है जिसमें ओवैसी ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय को एकजुट हो जाना चाहिए। उन्हें अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, मायावती जैसे नेताओं की पार्टी के झांसे में नहीं आना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर की बड़ी पार्टी का समर्थन करना चाहिए। ओवैसी का संकेत साफ था कि मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस के समर्थन में एकजुट होकर आना चाहिए तभी भारतीय जनता पार्टी हार सकती है।
कांग्रेस ने किस प्रकार से दिल्ली में अपने दम पर चुनाव लड़ा उससे लगता है कि कांग्रेस अब विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव भी अपने दम पर ही लड़ेगी। यदि दलित और मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हो गया तो क्षेत्रीय दलों के सामने अपने अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाएगा क्योंकि इन दलों के पास ज्यादातर कांग्रेस का वोट बैंक है जो अब कांग्रेस में शिफ्ट होता नजर आ रहा है। समझा जाता है कि इसी वजह से कांग्रेस के खिलाफ घटक दल के नेता बार-बार आरोप लगाकर अपनी कमजोरी और नाकामिया छिपा रहे हैं क्योंकि उनके पास असल ताकत कांग्रेस के पारंपरिक वोटो की ही है जो कांग्रेस से खिसक कर उनके पास चला गया था।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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