
-देवेंद्र यादव-

2014 के लोकसभा चुनाव को जीत कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों ने राजनीतिक पंडितों और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं और चुनावी रणनीतिकारों को कंफ्यूज कर रखा है। भारतीय जनता पार्टी देश के आम चुनाव और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार क्यों नहीं रही है। क्यों लगातार चुनाव जीत रही है।
नोटबंदी और जीएसटी के कारण देश के लघु उद्योग और व्यापार ठप हुआ और बेरोजगारी बढी। यह मुद्दा भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस सहित विपक्ष ने उठाया। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के कारण अफरा तफरी मची उद्योग धंधे और व्यापार चौपट हुआ और ऑक्सीजन और दवाइयो की कमी के कारण हुई मौत का मुद्दा भी विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया। किसान आंदोलन भी भाजपा सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बना। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव प्रचंड बहुमत के साथ जीता और लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा नहीं था कि विपक्ष के पास भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कोई मुद्दे नहीं थे। राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली। इसके बाद भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली। राहुल गांधी ने अपनी यात्राओं में देश की जनता से सीधे संवाद किए। जनता की समस्याओं को जाना। जनता को केंद्र की भाजपा सरकार कि गलत नीतियों से अवगत कराया। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश भर में भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ का नारा जनता के बीच जाकर बुलंद किया। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 99 सीट जीतने में कामयाब हुई मगर विपक्ष 234 सीट जीतने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाने से नहीं रोक पाया। जबकि देश में बेरोजगारी और महंगाई है और 80 करोड लोगों को मुफ्त भोजन देने का सरकार का निर्णय बताता है कि देश में भुखमरी भी है। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी आम चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव लगातार कैसे जीत रही है। यह ना तो कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को समझ आ रहा है और ना ही देश के राजनीतिक पंडितों को समझ आ रहा है। भाजपा को हराने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों का महागठबंधन बना। लेकिन महागठबंधन भी भाजपा को केंद्र में सरकार बनाने से नहीं रोक पाया। बल्कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने महागठबंधन को विधानसभा चुनाव में हराकर अपनी सरकार बना ली। भाजपा लगातार क्यों जीत रही है और विपक्ष लगातार चुनाव क्यों हार रहा है इस पर मंथन होता है। जब विपक्ष मंथन करता है तब विपक्ष आरोप लगाता है कि भाजपा ईवीएम मशीनों में हेर फेर कर चुनाव जीत रही है। लेकिन विपक्ष ईवीएम मशीनों के खिलाफ केवल बात कर रह जाता है और भाजपा फिर चुनाव जीत जाती है। फिर विपक्ष जीत पर आरोप लगाता है कि भाजपा को चुनाव आयोग जिता रहा है। फिर विपक्ष के नेताओं की बात और आरोप आए गए हो जाते हैं और भाजपा फिर चुनाव जीत जाती है। अब भाजपा की जीत पर नया आरोप सामने आया है कि भाजपा वोटर लिस्ट में हेर फेर कर चुनाव जीत रही है।
इस बीच कांग्रेस सहित विपक्षी दलों में भाजपा की जीत को लेकर कन्फ्यूजन एक दूसरे पर शक में तब्दील हो जाता है। विपक्षी दल एक दूसरे की पार्टी को भाजपा की बी टीम बताने में जुट जाते हैं।
सबसे बड़ा कंफ्यूजन और अपने नेताओं पर शक करने की बीमारी सबसे ज्यादा 2014 के बाद कांग्रेस के भीतर अधिक नजर आ रही है। कांग्रेस समझ नहीं पा रही है कि पार्टी चुनाव क्यों हार रही है और कांग्रेस कमजोर क्यों है। कांग्रेस के नेता पार्टी की हार पर एक दूसरे पर शक कर रहे हैं। कांग्रेस अपने नेताओं पर शक करने के कारण मजबूत होने की जगह और कमजोर होती नजर आ रही है।
इसीलिए सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों ने कांग्रेस सहित विपक्ष को भ्रमित कर अपने ही नेताओं पर शक करने के लिए विवश कर दिया है।
सवाल यह भी है कि क्या भाजपा को तृणमूल कांग्रेस की नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ललकारा है। कांग्रेस और विपक्षी दल ममता बनर्जी की तरह भाजपा को चुनौती देंगे। क्या विपक्षी दल वोटर लिस्ट में भाजपा के द्वारा किए जा रही धांधली के खिलाफ देश भर में जन आंदोलन खड़ा करेंगे या फिर भ्रम में रहकर एक दूसरे पर शक कर अपनी अपनी पार्टियों को कमजोर करते रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)