
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने तमाम अटकलों के बाद सोमवार 17 जून घोषणा कर बताया कि राहुल गांधी अपनी वायनाड सीट को छोड़ेंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे।
गत दिनों संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों से सांसद चुने गए थे। नियम के अनुसार राहुल गांधी को अपनी एक सीट से त्यागपत्र देना था। पार्टी हाई कमान और राहुल गांधी केरल के वायनाड सीट को छोड़ने का निर्णय लिया और घोषणा की कि इस सीट से कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी।
वायनाड को छोड़कर राहुल गांधी भावुक हुए तो वहीं प्रियंका गांधी खुश नजर आई, क्योंकि राहुल गांधी पिछले 5 वर्षों से इस सीट से सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे मगर वायनाड की जनता ने राहुल गांधी को चुनाव जिताकर संसद में भेजा था। राहुल गांधी को वायानाड की जनता से कितना लगा था कि वह स्वयं अपनी वायनाड सीट को छोड़ने की घोषणा स्वयं नहीं कर पाए बल्कि घोषणा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने की और घोषणा सुनकर राहुल गांधी काफी भावुक हो गए।
प्रियंका गांधी खुश इसलिए नजर आई क्योंकि वह पहली बार किसी भी प्रकार के संवैधानिक चुनाव को लड़ने के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगी। कांग्रेस और राहुल गांधी ने वायनाड की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतरने की भी घोषणा की।
वायनाड के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और जनता की मांग थी कि यदि राहुल गांधी इस सीट को छोड़ते हैं तो इस सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी को मैदान में उतरे, शायद कांग्रेस ने वायनाड में राहुल गांधी की कमी को प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतार कर पूरा किया है।
प्रियंका गांधी दक्षिण भारत में इंदिरा अम्मा की कमी को भी पूरा करेंगी। दक्षिण भारत में श्रीमती इंदिरा गांधी को जनता इंदिरा अम्मा के नाम से पहचानते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। प्रियंका गांधी में जनता इंदिरा गांधी की झलक देखते हैं।
गांधी परिवार से चौथा व्यक्ति है जो दक्षिण भारत की किसी सीट से चुनाव लड़कर संसद में पहुंचेंगे। श्रीमती इंदिरा गांधी सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों ही दक्षिण भारत की लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर संसद में पहुंचे थे अब बारी प्रियंका गांधी की है।
दक्षिण भारत से गांधी परिवार की जीत के पीछे एक इतिहास भी छिपा हुआ है। इतिहास यह है कि जब-जब भी कांग्रेस और गांधी परिवार कमजोर हुआ है तब तब कांग्रेस और गांधी परिवार का साथ दक्षिण भारत में दिया है।
कांग्रेस और गांधी परिवार का सत्ता में आने का द्वार दक्षिण से ही खुलता है।
और क्या प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए सत्ता का द्वार एक बार फिर से दक्षिण भारत से खुलने वाला है।
श्रीमती इंदिरा गांधी रायबरेली से 1977 में जब चुनाव हार गई थी तब फिर आंध्र प्रदेश के मेंढक लोकसभा चुनाव सीट से चुनाव जीती थी और 1980 में इंदिरा गांधी और कांग्रेस सत्ता में आई थी। इसी तरह से 2004 से पहले श्रीमती सोनिया गांधी दक्षिण भारत की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थी और कांग्रेस में सत्ता में वापसी की थी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बड़े ही रणनीतिक तरीके से केंद्र की सत्ता में वापसी के लिए ठोस और मजबूत रणनीति बनाते हुए नजर आ रही है।
उत्तर में राहुल गांधी और दक्षिण में श्रीमती प्रियंका गांधी, कांग्रेस की ताकत को बढ़ाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)