
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बात आम जनता तक ठीक से क्यों नहीं पहुंचती, इसको लेकर कांग्रेस के यह दोनों नेता चिंतित होंगे। मगर क्या कभी राहुल गांधी और खरगे ने मंथन किया है कि उनकी बात देश की आम जनता तक क्यों नहीं पहुंचती है। इसके लिए पूरी तरह से मीडिया को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। इसके जिम्मेदार कांग्रेस के वे नेता हैं जो राहुल गांधी और खरगे के द्वारा मंच से दिए गए भाषण में उठाई गई बातों को पूरी तरह से आम जनता तक मीडिया के माध्यम से पहुंचने ही नहीं देते हैं। क्योंकि ये नेता मंच से दिए अपने भाषणों के अंश को मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता के बीच परोसने लग जाते हैं। इस कारण जनता तक राहुल गांधी और खरगे की बात नहीं पहुंचती। इसलिए राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या बात कही जनता को उनकी बात याद नहीं रहती बल्कि याद रहती है उन स्थानीय कांग्रेस के नेताओं की बातें।
मल्लिकार्जुन खरगे 28 अप्रैल को राजस्थान आए थे। उनके दो कार्यक्रम तय थे। इनमें एक संविधान बचाओ सम्मेलन और दूसरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक। दोनों ही प्रोग्राम कांग्रेस के नजरिए से महत्वपूर्ण थे मगर संविधान बचाओ सम्मेलन में खरगे ने दिया भाषण तो मीडिया और राजनीतिक गलियारों में कुछ समय के लिए सुनाई दिया मगर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक मीडिया और राजनीतिक गलियारों में सुनाई नहीं दी। बैठक में खरगे ने प्रदेश के नेताओं से राजस्थान में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए क्या-क्या कहा और कार्यकर्ताओं को क्या संदेश दिया इसकी खबर जनता ही नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच भी सुनाई नहीं दी। इसकी वजह वही कांग्रेस के भाषण वीर नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस के संविधान बचाओ सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे की मौजूदगी में भाषण दिया था। सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उनके भाषण खरगे के भाषण से अधिक दिखाई दिए। इन नेताओं के भाषण आज भी सोशल मीडिया पर हैं। खरगे का भाषण सोशल मीडिया पर सुनाई नहीं दे रहा है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस में अनुशासन की कमी है। क्या प्रोटोकॉल नहीं है। क्यों कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और मल्लिका अर्जुन खरगे की बातों से ज्यादा अपनी बात को सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हैं। क्या कोई गाइडलाइन कांग्रेस ने बना रखी है या बनाएगी। इसे समझने के लिए कांग्रेस हाई कमान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को समझना होगा। भाजपा के भीतर कोई ऐसा नेता है जो मोदी और शाह के भाषणों को किनारे कर उसी मंच से दिए अपने भाषण को सोशल मीडिया और मीडिया पर दिखा दे या जनता को सुना दे। भाजपा के भीतर शायद ऐसा नहीं होता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बातें आम जनता तक पहुंचती हैं। देश की जनता तक केवल नरेंद्र मोदी की ही बात पहुंचती है और यही वजह है कि मोदी है तो मुमकिन है का नारा अभी तक भी गूंज रहा है क्योंकि भाजपा की तरफ से जनता को केवल मोदी ही दिखाई और सुनाई देते हैं। जबकि कांग्रेस में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को अलग करके कांग्रेस के भाषण वीर नेता एक ही मंच से दिए गए उनके भाषण और बातों को किनारे कर जनता के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से अपने भाषण और बातों को परोसने लग जाते हैं। इससे कांग्रेस को नुकसान होता है इसका एहसास अब राहुल गांधी को हो रहा है। कश्मीर में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस के ऐसे नेता शांत नहीं हुए और राहुल गांधी और खरगे की लाइन से हटकर बयान बाजी करते दिखाई दिए। राहुल गांधी ऐसे नेताओं के इस कृत्य से नाराज हैं क्योंकि राहुल गांधी और खरगे और कांग्रेस पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के विरोध में मोदी सरकार के साथ पहले दिन से खड़े नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी के इस कदम से देश की जनता पर राहुल गांधी ने अमिट छाप छोड़ी है। जनता राहुल गांधी के इस कदम की तारीफ कर रही है। लेकिन कांग्रेस के भाषण वीर नेता अपने बयानों से कांग्रेस को कमजोर करने में लगे हुए। इसलिए सवाल है कि राहुल गांधी और खरगे को भाषण वीर नेताओं पर लगाम लगाना होगा और गाइड लाइन तैयार करनी होगी। यदि एक ही मंच से राहुल गांधी और खरगे ने भाषण दिया है और अपनी बात रखी है जनता के बीच दोनों नेताओं की बात मीडिया के माध्यम से जाएगी अन्य नेता की कोई बात मीडिया पर ना तो सुनाई दे और ना दिखाई दे। जब तक जनता तक राहुल गांधी और खरगे की बातें ठीक से पहुंचेंगी और जनता उनकी बात को याद रखेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)