
-देवेन्द्र यादव-

राहुल गांधी यदि वाकई पार्टी को पुर्नजीवित करने का इरादा रखते हैं तो उनके लिए अहमदाबाद में 8 और 9 अप्रैल को होने वाला कांग्रेस अधिवेशन मजबूत और दृढ निर्णय लेने का स्वर्णिम मौका है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अधिवेशन में सबसे पहले यह रिपोर्ट तलब करनी चाहिए कि 26 साल पहले 1998 में पचमढ़ी में हुए, 21 साल पहले 2003 में शिमला में हुए, 11 साल पहले 2013 में जयपुर में हुए और 3 साल पहले 2022 में उदयपुर में हुए चिंतन-मंथन शिविरों में पारित संकल्पों में से कितनों पर अमल हुआ। जिन पर अमल नहीं हुआ, उन पर अमल की ज़िम्मेदारी किस-किस को दी गई थी और उन्होंने यह ज़िम्मेदारी पूरी नहीं की तो क्यों नहीं की।
1998 से अब तक हुए कांग्रेस महासमिति के तीन विशेष सत्रों, दो अधिवेशनों और तीन महाधिवेशनों में पारित हुए प्रस्तावों के बारे में प्रगति की समीक्षा भी अहमदाबाद में सख़्ती से की जानी चाहिए। कुछ को छोड़ कर बाकी सब पार्टी पदाधिकारी बरसों से केवल संगठन और सत्ता में मलाई खाने में ही रहे हैं। राहुल गांधी जब तक जवाबदेही तय नहीं करेंगे तब तक वह कितनी भी यात्राएं निकाल लें उनके प्रयासों पर ऐसे ही पानी फिरता रहेगा।
गुजरात में 64 साल के अंतराल कांग्रेस का सत्र आयोजित हो रहा है। राज्य में ऐसा आखिरी सत्र 1961 में भावनगर में आयोजित किया गया था। देश भर से पार्टी के प्रतिनिधियों के एकत्र होने के साथ, बैठक में कांग्रेस द्वारा संविधान और उसके मूल्यों पर “निरंतर हमलों” के साथ-साथ भाजपा की “जनविरोधी नीतियों” पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
हालांकि, कांग्रेस गुजरात में संघर्ष कर रही है, उसे बार-बार चुनावी असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में हुए नगर निगम चुनावों में इसका खराब प्रदर्शन राज्य में इसके सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करता है। इस पृष्ठभूमि में, आगामी सत्र पार्टी के मिशन-2027 के लिए तैयार होने के साथ पुनरुद्धार के लिए शुरुआती प्रयास का संकेत देता है।
कांग्रेस ने घोषणा की कि सत्र की शुरुआत 8 अप्रैल को विस्तारित CWC बैठक के साथ होगी, जो उच्च चर्चाओं के लिए मंच तैयार करेगी। यह गति 9 अप्रैल को AICC प्रतिनिधियों की बैठक के साथ जारी रहेगी, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे। कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व करने वाली सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जैसे दिग्गज विचार-विमर्श में शामिल होंगे। इस सभा को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने के लिए, कांग्रेस के मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय पदाधिकारी, वरिष्ठ नेता और AICC प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे, जो पार्टी के अगले कदमों को आकार देंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, राहुल गांधी जुलाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए गुजरात पहुंचे। उन्होंने घोषणा की कि जिस तरह अयोध्या में भाजपा गिरी, उसी तरह गुजरात अगला होगा। कांग्रेस के शीर्ष नेता अब राज्य में उमड़ रहे हैं, जिससे माहौल और गर्मा गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया है कि राहुल ने पिछले साल संसद में यह चुनौती देते हुए कहा था, “इसे लिख लें, हम आपको गुजरात में हरा देंगे।” विपक्ष का भारत ब्लॉक उस वादे को हकीकत बनाने के लिए कमर कस रहा है।
पीएम मोदी और अमित शाह का गढ़ गुजरात हर चुनाव को एक बड़ी लड़ाई में बदल देता है। कांग्रेस के लिए, यहां भाजपा की पकड़ को तोड़ना उसके पुनरुद्धार की कुंजी है। पार्टी कुछ ही महीनों में दो साल का रोडमैप तैयार करने के लिए तैयार है। हालाँकि, इतिहास क्रूर है – कांग्रेस को 1995 से सभी सात विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पूरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। 2024 में एक अकेली लोकसभा सीट मिली है, लेकिन आगे की राह कठिन है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)