
-हरियाणा चुनाव के लिए तैनात किए नेताओं की क्लास ली
-उच्च स्तरीय कमेटी के गठन करने की बात की
-देवेंद्र यादव-

हरियाणा विधानसभा चुनाव की हार के बाद पर राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा चुनाव के लिए तैनात किए नेताओं की क्लास ली है।
मैंने अपने ब्लॉग में लिखा था कि राहुल गांधी को हरियाणा की चुनावी हार पर मंथन करने के साथ-साथ उन नेताओं को अपने सामने बैठा कर पूछना चाहिए कि कांग्रेस क्यों हारी। हाई कमान ने जिन नेताओं को हरियाणा चुनाव में तैनात किया था उनसे और हारे प्रत्याशियों से पूछना चाहिए था कि हार का क्या कारण रहा।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार 10 अक्टूबर को एक अति आवश्यक बैठक की और उसमें उन तमाम नेताओं को बुलाया जो हरियाणा चुनाव में तैनात थे। राहुल गांधी ने हरियाणा की हार पर उन नेताओं की जबरदस्त क्लास ली। बैठक के अंदर से पता चला है कि राहुल गांधी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी के गठन करने की बात की है जो हरियाणा विधानसभा का चुनाव लड़े कांग्रेस के प्रत्याशियों से पूछताछ करेंगी कि हरियाणा में कांग्रेस चुनाव क्यों हारी।
राहुल गांधी को चुनाव की समीक्षा और मंथन करने से ज्यादा जरूरी है उन नेताओं की क्लास लेना जिन नेताओं को चुनाव में तैनात किया जाता है, क्योंकि बात भरोसे की है। हाई कमान ने उन नेताओं पर भरोसा करके चुनाव में पहुंचाया था और यदि वही नेता हाई कमान का भरोसा तोड़ दे तो फिर कांग्रेस में बचा ही क्या है।
अब समय आ गया है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खडगे सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का पुनर्गठन करें और संगठन के भीतर बरसों से कुंडली मारकर बैठे नेताओं की जगह ईमानदार और पार्टी के प्रति वफादार नेताओं को जगह दे। वही कांग्रेस के तमाम अग्रिम संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को भी बदलें।
हरियाणा चुनाव में यदि कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग को छोड़ दें तो बाकी सभी अग्रिम संगठन फेल हुए हैं। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के पांच अल्पसंख्यक प्रत्याशी भारी मतों से चुनाव जीते हैं। अनुसूचित जाति और जनजाति और कांग्रेस सेवादल राष्ट्रीय अध्यक्ष लंबे समय से काम कर रहे हैं, मगर जमीन पर अनुसूचित जाति जनजाति और सेवादल के संगठन कहीं दिखाई नहीं देते हैं। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार की वजह कांग्रेस के परंपरिक दलित वोट भी रहा है। हरियाणा चुनाव में दलित बनाम जाट की लड़ाई कांग्रेस के भीतर पहले दिन से देखी जा रही थी। यदि कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग और उसके मुखिया मजबूत होते तो हरियाणा में दलित वर्सेस जाट नहीं होता। अनुसूचित जाति विभाग में अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए राजेश लिलोठिया को लंबा समय हो गया है। कांग्रेस का अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं की कांग्रेस में वापसी कराने में नाकाम दिखाई दे रहा है। ऐसे में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस के अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के विभागों को मजबूत किया जाना चाहिए और इसके लिए जरूरी है वर्षों से कुंडली मारकर बैठे नेताओं की जगह ईमानदार और वफादार नेताओं को तैनात किया जाना चाहिए।
कांग्रेस की हार की एक वजह यह भी है कि कांग्रेस के पास बूथ लेवल पर, केवल कागजी कार्यकर्ता है। कांग्रेस को बूथ लेवल पर मजबूत करने की जिम्मेदारी कांग्रेस सेवा दल के हाथ में होनी चाहिए और इसके लिए कांग्रेस सेवादल का अध्यक्ष किसी मजबूत और जमीनी नेता को बनाना चाहिए। देखा गया है कि जब मतदान होता है तब अधिकांश पोलिंग बूथ पर कांग्रेस के पोलिंग एजेंट देर से पहुंचते हैं और जल्दी पोलिंग बूथ से उठकर घर आ जाते हैं। बल्कि कई पोलिंग बूथ पर तो कांग्रेस का कोई एजेंट ही मौजूद नहीं रहता है और एजेंट रहते भी है तो उन्हें मतदान प्रक्रिया और उनकी जिम्मेदारी का पता भी नहीं होता है। इसके लिए कांग्रेस को देश भर में स्थाई रूप से पोलिंग एजेंट बनाने होंगे जिन्हें प्रशिक्षित करना होगा और यह काम कांग्रेस सेवादल कर सकता है। यह जिम्मेदारी कांग्रेस सेवादल के हाथों में देनी चाहिए कि वह सेवा दल के कार्यकर्ताओं को पोलिंग एजेंट के तौर पर तैयार करें।
कांग्रेस की हार के बाद हरियाणा चुनाव समाप्त हो गया। अब बारी है महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव की। महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस प्रत्याशियों का चयन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में हो और प्रत्याशियों के नाम की घोषणा भी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में हो, क्योंकि कांग्रेस ने स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर प्रत्याशियों की घोषणा करके देख ली है। नतीजा हरियाणा का चुनाव हाई कमान के सामने है। यदि राहुल गांधी अमेरिका जाने से पहले अपने सामने ही हरियाणा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा करते तो शायद हरियाणा के परिणाम ही कुछ और होते। ऐसी भूल राहुल गांधी महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में ना करें तो कांग्रेस के लिए बेहतर होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)