कोटा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में ‘भारत जोड़ो यात्रा मंगलवार सुबह राजस्थान चरण में फिर शुरू हुई। भारत जोडो यात्रा ने मंगलवार सुबह झालावाड़ शहर को पार कर लिया। यात्रा कल रात झालावाड के खेल संकुल में रुकी थी। यहीं से मंगलवार सुबह शुरू हुई और झालावाड शहर केा पार कर कोटा की ओर कदम बढा दिए।आज करीब 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ‘भारत जोड़ो यात्रा सुबह 10 बजे देवरीघाट और भोजनावकाश के बाद दोपहर 3.30 बजे यात्रा सुकेत से दोबारा शुरू होगी।

रात्रि विश्राम मोरू कलां खेल मैदान में होगा। राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, कई मंत्री, विधायक और अन्य नेता एवं कार्यकर्ता शामिल हैं। यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं।

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की झालावाड़ इकाई के उन लोगों को फ्लाइंग किस दिया जो उनकी यात्रा की झलक पाने के लिए पार्टी कार्यालय की छत पर इंतजार कर रहे थे। इस दौरान वहां का नजारा देखने लायक था। राहुल गांधी ने जय सियाराम और हे राम का नारा नहीं लगाने को लेकर सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा था।
BJP workers are here to see the massive support Rahul Gandhi is getting from the People. pic.twitter.com/dK2gn5mZhw
— Aaron Mathew (@AaronMathewINC) December 6, 2022
गांधी ने झालावाड जिले के झालरापाटन में अपनी यात्रा की समाप्ति से पहले चंद्रभागा चौराहे पर एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग जय श्री राम का नारा लगाते हैं लेकिन उन्होंने अपने नारे से माता सीता को निकाल दिया है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा था कि- आप माता सीता को कैसे निकाल सकते हैं? आपको श्री राम बोलना है तो आप बोलिए लेकिन आप अगर जय श्री राम बोले तो ज्यादा अच्छा होगा कि जय सिया बोले। जय सियाराम क्यों नहीं बोलते? यह लोग तो अब हे राम का नारा नहीं लगाते जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नारा था।

राहुल गांधी ने किसान विरोधी नीतियों के लिए भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जमकर आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के किसानों की रीड की हड्डी तोड़ने के लिए तीन काले कानून लेकर आए थे। इन कानूनों से किसानों को फायदा होने की बात कही, लेकिन किसान ने इसका जमकर विरोध किया।
जब किसान सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे तो मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा। आखिरकार किसानों की शक्ति व हिम्मत को देख घबराई मोदी सरकार ने काले कानूनों को वापस ले लिया। यह किसानों की बड़ी जीत थी क्योंकि उनकी मांग मनवाने में एक साल का समय लगा लग व इस दौरान किसान सभी मुसीबते झेलकर अपनी मांगे पर के अड़े रहे जो सरकार को माननी ही पड़ी।
