मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणाओं की खास वजह यह है कि गहलोत सरकार की घोषणाएं केवल कागजी नहीं हैं, बल्कि घोषणा करने के बाद योजनाओं का तुरंत क्रियान्वयन होना और योजनाओं का लाभ आम जनता को मिलना भी है, और यही वजह है कि राज्य की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके द्वारा जनहित में बनाई गई योजनाओं पर भरोसा भी करती हुई दिखाई दे रही है।
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस सरकार की योजना महंगाई राहत कैंप और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के महंगाई राहत कैंपों के दोरो ने राजस्थान में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की, नींद उड़ा रखी है।
एमआरसी में जिस प्रकार से जनता रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उमड़ रही है, और जिस प्रकार से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं प्रदेश भर में महंगाई राहत कैंपों का निरीक्षण और अवलोकन कर रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कांग्रेस राज्य में 2023 के विधानसभा चुनाव को गंभीरता से ले रही है, और लगातार दूसरी बार विधानसभा का चुनाव जीत कर इतिहास रचने के लिए आमादा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजनाओं का हवाला देकर कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक का विधानसभा चुनाव लड़ा था। दोनों राज्यों में कांग्रेस को बड़ी कामयाबी मिली थी और कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को हराकर कांग्रेस की सरकार बनाई थी। अब बारी राजस्थान की है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही राज्य की जनता को विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं की सौगात देना शुरू कर दिया था जो विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले तक जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणाओं की खास वजह यह है कि गहलोत सरकार की घोषणाएं केवल कागजी नहीं हैं, बल्कि घोषणा करने के बाद योजनाओं का तुरंत क्रियान्वयन होना और योजनाओं का लाभ आम जनता को मिलना भी है, और यही वजह है कि राज्य की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके द्वारा जनहित में बनाई गई योजनाओं पर भरोसा भी करती हुई दिखाई दे रही है।
यदि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच कुर्सी को लेकर चल रहे झगड़े को छोड़ दें तो, भारतीय जनता पार्टी के पास अशोक गहलोत और उनकी कांग्रेस सरकार को विधानसभा चुनाव में घेरने और कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता के बीच बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नजर सचिन पायलट पर है मगर कांग्रेस की नजर भी पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे पर है, इस लिहाज से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच मैच टाई है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में नेतृत्व को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों में विवाद बरकरार है।
बल्कि यूं कहें कि नेतृत्व को लेकर भारतीय जनता पार्टी में विवाद कांग्रेस से कहीं अधिक बड़ा है। कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत के सामने केवल एक नेता सचिन पायलट ही दिखाई दे रहे हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी के भीतर श्रीमती वसुंधरा के सामने करीब दर्जनभर ऐसे नेता हैं जो राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री की दौड़ में करीब आधा दर्जन नेता गंभीर हैं जिनमें गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़, ओम बिरला, अर्जुन राम मेघवाल, अश्वनी कुमार, ओम माथुर प्रमुख हैं।
2023 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा चलेगा या फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू चलेगा ? गुजरात की सीमावर्ती राज्य राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी दौरे हो चुके हैं और आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान में तूफानी दौरे भी कर सकते हैं। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने श्रीमती वसुंधरा राजे चुनौती बनकर खड़ी दिखाई दे रही हैं। श्रीमती वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पहली बार चुनौती बनकर खड़ी नहीं हुई हैं। इससे पहले भी श्रीमती वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौतियां दी हैं, लाख कोशिशें करने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीमती वसुंधरा राजे के अलावा राज्य में अन्य किसी नेता को उनके मुकाबले मैं नेता नहीं बना सके। अब सबकी नजर 2023 के विधानसभा चुनाव पर है। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान में वसुंधरा राजे के मुकाबले अन्य किसी भाजपा के नेता को नेता बना कर खड़ा कर पाएंगे। फिलहाल तो कांग्रेस सरकार के महंगाई राहत कैंप और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कैंपों के दौरे ने भाजपा नेताओं की नींद उड़ा रखी है।
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)