
-देवेन्द्र यादव-

लोकसभा चुनाव 2024 परिणाम के बाद देश की नजर चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। चुनाव आयोग ने गत दिनों हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी, मगर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव घोषणा नहीं की।
हरियाणा और महाराष्ट्र में पिछली दफा एक साथ चुनाव हुए थे, मगर इस बार चुनाव आयोग ने पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा की, और महाराष्ट्र को पेंडिंग में डाल दिया। इस पर देश की राजनीति गरमा गई, मगर देश की राजनीति हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव एक साथ क्यों नहीं हो रहे, इस पर गर्म कम है, बल्कि राजनीति इस पर गर्म अधिक है, कि महाराष्ट्र और झारखंड में प्रमुख राजनीतिक दल चुनाव से पहले तोड़फोड़ कर चुनाव से ठीक पहले अपने-अपने गठबंधनों की सरकार बना सकते हैं।
तोड़फोड़ की राजनीतिक सर गर्मी महाराष्ट्र से शुरू होकर झारखंड जा पहुंची है।
राजनीतिक गलियारों और मीडिया के भीतर खबर तैरने लगी की झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार है, और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं, जो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। हेमंत सोरेन मनी लांड्रिंग केस में फरवरी 2024 में जेल गए थे जो अब जमानत पर बाहर आ गए और फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। जेल जाने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ा और मुख्यमंत्री के पद पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता राज्य सरकार में मंत्री शिबू सोरेन के करीबी नेता चंपई सोरेन को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। मगर हेमंत सोरेन 150 दिन बात जब जेल से रिहा हुए तो वह झारखंड के वापस मुख्यमंत्री बन गए। अब खबर आ रही है कि चंपई सोरेन बगावत कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
यहीं से राजनीतिक सवाल खड़ा होता है कि क्या चंपई सोरेन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के राजनीतिक नक्शे कदम पर चलेंगे और इतिहास को दोहराएंगे।
2014 में बिहार के अंदर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को विधानसभा चुनाव में कम सीट मिली, तब नीतीश कुमार ने दलित नेता जीतन राम मांझी को राज्य का मुख्यमंत्री बनवाया मगर 9 महीने बाद नीतीश कुमार जीतन राम मांझी की जगह मुख्यमंत्री बन गए। इस पर माझी ने नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत कर दी।
क्या अब ऐसा ही झारखंड में भी हो सकता है, क्या चंपई सोरेन बगावत कर झारखंड मुक्ति मोर्चा को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल होकर चुनाव से ठीक पहले हेमंत सोरेन की जगह भाजपा के समर्थन से झारखंड के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
भाजपा ऐसा प्रयोग पिछले दिनों महाराष्ट्र में कर चुकी है उसने शिवसेना के भीतर तोड़फोड़ करवा कर एकनाथ शिंदे की नई शिवसेना को अपना समर्थन देकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवाया था और भाजपा शिंदे सरकार में शामिल हुई। क्या ऐसा ही प्रयोग झारखंड में भी होगा।
झारखंड से पहले महाराष्ट्र से खबर आ रही थी कि, इंडिया गठबंधन महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में अपनी सरकार फिर से बना सकता है।
शरद पवार के भतीजे अजित पवार वापस शरद पवार की शरण में आ सकते हैं, इंडिया गठबंधन के इस प्रयास की खबरें अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब खबर शुरू हो गई झारखंड से। जहां से खबर आने लगी की इंडिया गठबंधन की झारखंड सरकार में बगावत हो सकती है और झारखंड में भाजपा चुनाव से पहले अपनी सरकार बना सकती है। मगर अब राजनीतिक सुर्खियां महाराष्ट्र से ज्यादा झारखंड से आने लगी।
चंपई सोरेन का दिल्ली आगमन चर्चा का विषय रहा ?
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं