सनातन संस्कृति में पेड़ पौधों को सहेजने की परम्परा रही हैं -सारस्वत

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-कोटा विश्वविद्यालय में सृजनात्मक उद्यान-वानिकी कौशल पर प्रदर्शनी

कोटा। कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरू भगवती प्रसाद सारस्वत ने कहा है कि सनातन संस्कृति में पेड़ पौधों को सहेजने की परम्परा रही है। सारस्वत यहां विश्व विद्यालय सभागार में वनस्पति शास्त्र विभाग एवं बोनसाई एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यशाला का उद्देश्य उद्यान-वानिकी कौशल के विकास से विद्यर्थियों में सृजनात्मक प्रवृत्ति को बढ़ावा देना व बोनसाई कला को प्रदर्शित कर उसके महत्व को बताना है।
प्रदर्शनी का शुभारंभ व कार्यशाला की अध्यक्षता विश्विद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत ने की व उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि भारतीय संस्कृति में सनातन काल से ही पौधों को सहेजने, पूजने की परम्परा रही है उनमें भी जीवन बसता है, अतः संध्या के बाद पौधों को नहीं तोड़ने के प्रचलन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण का परिप्रेक्ष्य बताया, जो कि अधिकांश पौधों के दिन के पश्चात प्रकाश संश्लेषण ना कर पाने के दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत प्रतीत होता है। साथ औषधीय पौधों के महत्व का उदाहरण देते हुए संजीवनी बूटी में प्राण शक्ति के गुण को रामायण काल से भारतीय ज्ञान परंपरा में वनस्पति के पुरातन उपयोग पर प्रकाश डाला। कुलगुरु महोदय ने पर्यावरण संरक्षण व क्लाइमेट चेंज के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए एक पेड़ मां के नाम अभियान से जुड़ कर सभी से सक्रिय सहयोग की अपील की एवं विश्वविद्यालय को प्लास्टिक मुक्त करने की अपील की
वनस्पति शास्त्र विभाग के उक्त कार्यशाला के इनडोर प्रदूषण को कम करने के प्रयास की सराहना की एवं विद्यार्थियों में उद्यमिता की भावना के विकास के लिए किये गए सफ़ल आयोजन की शुभकामनाएं प्रेषित की। मुख्य अतिथि श्रीमती भावना शर्मा, कुल सचिव कोटा विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से संबंधित विषयों के साथ-साथ ही ऐसी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया तथा उनके सर्वांगीण विकास में वृद्धि हेतु कार्यशाला के प्रासंगिक महत्व को बताया। डॉक्टर नीलू चौहान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रही तथा विश्विद्यालय को ग्रीन कैम्पस बनाने में विद्यार्थियों से सहयोग की अपील की। कार्यशाला की समन्वयक डॉ श्वेता व्यास ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं संयोजक डॉ मृदुला खंडेलवाल ने कार्यशाला की रूपरेखा एवं विभाग की उपलब्धियां के बारे में अवगत करवाया। बोनसाई असोसिएशन की उपाध्यक्ष प्रो.नीरजा श्रीवास्तव कार्यशाला की मुख्य वक्ता रही तथा डॉ रमेश माथुर एवं भावना धाकड ने बोनसाई कला की ट्रेनिंग दी । विभाग के सभी व्याख्याता डॉक्टर शिवाली खरौलीवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं मंच संचालन छात्रा जूही शर्मा ने किया। विभाग के अन्य सदस्यों डॉ पूनम व्यास डॉ निवेदिता शर्मा ,डॉ मीनाक्षी शर्मा डॉ अंकितI चौधरी एवं सभी विद्यार्थी गणों ने अपनी सक्रियता व लगन से कार्यशाला के दौरान बोनसाई कला व सृजनात्मक उद्यान वानिकी के विभिन्न पहलुओं को बारिकी से सीख कर कार्यशाला को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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