
बारां।” पेड़ हमारे प्राण दाता हैं और इनसे हमारे जीवन की दीर्घायु प्राप्त होती है। ये केवल हमें शुद्ध वातावरण ही नहीं देते बल्कि पूरे समाज और देश को स्वच्छ पर्यावरण भी प्रदान करते हैं।” ये विचार शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक और चम्बल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने बारां में समिति की ओर से आयोजित समर्थन अभियान की समीक्षा बैठक में व्यक्त किए।
शाहबाद बचाओ आंदोलन को सहयोग और समर्थन जुटाने की रणनीति पर आयोजित की गई भारतीय सांस्कृतिक निधि वराह नगरी बारां अध्याय, दिया फाउंडेशन, वृक्ष मित्र फाउंडेशन और शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां द्वारा आयोजित पर्यावरण प्रेमियों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि ” शाहबाद तहसील के शाहपुरा गांव में लगने वाले हाइड्रो पावर प्लांट को लगाने हेतु सरकार द्वारा ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद को 407.8277 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई है जिसमें 119759 पेड़ राज्य सरकार द्वारा बताए जा रहे हैं जबकि प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया के अनुसार यह संख्या 25 लाख से भी ज्यादा है। इस जंगल में देश में पाई जाने वाली 400 औषधीय गुणों वाले पेड़ों में से 332 प्रजातियां पाई जाती हैं।जिनके लुप्त होने से मानव समुदाय को अपूरणीय क्षति तो होगी ही साथ ही देश ,विश्व का पर्यावरण, जैव विविधता, वन्य जीव आवास, जलवायु परिवर्तन, कृषि उपज, वर्षा जल प्रतिशत और भी प्राकृतिक घटक प्रभावित होंगे। इन पेड़ों और जंगलों को बचाने के लिए हमे आंदोलन की आवश्यकता है और भावी रणनीति को पूरी तैयारी के साथ समय पर लागू करना होगा।
समिति समन्वयक भानु गुप्ता,मुकेश सोनी और अन्य सदस्यों ने बताया कि “शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन को जन साधारण का संबलन प्राप्त करने के उद्देश्य से आयोजित इस बैठक में में शाहबाद बचाओ आंदोलन की अभी तक की रूपरेखा और सफलता की समीक्षा की गई साथ ही समिति द्वारा भविष्य में अपनाई जाने वाली रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।
समिति के योगेश गुप्ता पराग वारा ने कहा कि “आंदोलन को जन साधारण का पूरा पूरा समर्थन मिल रहा है और लोग इस आंदोलन में खुल कर सामने आ रहे हैं। विभिन्न प्रकार की संस्थाओं, संगठनों, बुद्धिजीवियों और गणमान्य नागरिकों ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया है जिसमें हाड़ौती संभाग के कई संगठनों का सहयोग भी शामिल है।