
राजेन्द्र गुप्ता-

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सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। वहीं श्रावण मास में पड़ने प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि प्रदोष व्रत के शुभ अवसर पर प्रदोष काल यानी संध्या के समय भगवान शिव की उपासना का विधान है। पंचांग के अनुसार, श्रावण ‘अधिक’ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
श्रावण अधिक प्रदोष व्रत की तिथि
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हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 अगस्त सुबह 08 बजकर 19 मिनट से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 14 अगस्त सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में श्रावण मास का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। रविवार का दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष काल संध्या 07 बजकर 03 मिनट से रात्रि 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
श्रावण अधिक प्रदोष व्रत की पूजन विधि
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श्रावण मास के तीसरे प्रदोष व्रत के दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और गंगाजल दूध इत्यादि से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद प्रदोष काल में पंचामृत से भगवान शिव रुद्राभिषेक का करें। इस दौरन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। अंत में भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
श्रावण अधिक मास प्रदोष व्रत का महत्व
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शास्त्रों में बताया गया है कि रवि प्रदोष व्रत का पालन करने से साधक को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा साधक पर बनी रहती है। इसके साथ यह व्रत रखने से स्वास्थ्य को भी बहुत लाभ प्राप्त होता है और व्यक्ति निरोगी जीवन जीता है। मान्यता यह भी है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
रवि प्रदोष व्रत की कथा
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एक ग्राम में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्ररत्न था। एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बतला दो। बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं। हमारे पास धन कहाँ है?
तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है?
बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी माँ ने मेरे लिए रोटियां दी हैं।
यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी मनुष्य है अत: हम किसी और को लूटेंगे। इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया।
बालक वहाँ से चलते हुए एक नगर में पहुंचा। नगर के पास एक बरगद का पेड़ था। वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया।
ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी।
भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली। उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा तुम्हारा सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा।
प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया गया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई।
सारा वृत्तांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया। उसके माता-पिता बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें भयभीत देखकर कहा कि आप भयभीत न हो। आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा। शिव जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।
अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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