
-विष्णुदेव मंडल
कोयम्बटूर। यहाँ वेलयानगिरी स्थित फुटहिल्स में शिव प्रतिमा ग्राउंड इशान विहार की पहचान आदियोगी शिव की 112 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा से है जो वर्ष 2017 में स्थापित की गई।
शिव जी की योग मुद्रा में स्थापित यह प्रतिमा स्थल अब आमजन के लिए धार्मिक के साथ पर्यटन स्थल में तब्दील हो गया है। यही वजह है कि देश-विदेश से बडी संख्या में लोग आदि योगी शिव प्रतिमा के दर्शन हेतु आते हैं। लेकिन इस जगह की विवशता कहें या फिर सरकारी उदासीनता यहाँ बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।
हालांकि यहाँ भोले नाथ का मंदिर व पूजा पाठ आदि यज्ञ व जपतप जैसा कुछ नहीं है। बावजूद इसके देश के विभिन्न राज्यों समेत विदेश से भी पर्यटक शिव की विशाल प्रतिमा के दर्शन हेतु आते हैं।
बताते चले ं कि यहाँ का प्रमुख आकर्षण का लेजर शो है। शाम साढे सात बजे से 15 मिनट के इस शो में लाइटिंग के जरिए शिव जी की योग मुद्रा और तांडव को दर्शाया जाता है। कमोबेश इस वजह से लोग यहाँ भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं, और शिव जी के विभिन्न योग मुद्रा को लेजर लाइटिंग के जरिए देखना चाहते हैं। उसके रूप को अपने मोबाइल फोन के जरिए वीडियोग्राफी करते हैं। हालांकि मंदिर प्रशासन यहां आए पर्यटकों से शिव जी की प्रतिमा के फोटो और वीडियो ग्राफी के लिए मना करते हैं, लेकिन पर्यटकों का यहां आना और शिव के ऊंची प्रतिमा के साथ फोटो खिंचवाना ही मुख्य उद्देश्य नजर आता है।
बहरहाल शिवजी की प्रतिमा की स्थापना के 7 साल गुजर जाने के बाद भी परिसर में बुनियादी सुविधाओं की अभाव नजर आ रहा है।
सैकडो एकड़ में विस्तारित परिसर में पर्यटकों को बरसात व धूप से बचने के लिए छाया का इंतजाम नहीं है। शौचालय नहीं होने के कारण लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। मजबूरी में खुले में मूत्र विसर्जन करना पड़ता है। खासकर महिलाओं के लिए यहाँ भारी अव्यवस्था है।
सरकार अर्थात पुलिस प्रशासन यहां बिल्कुल नहीं है। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए यहां कुछ भी व्यवस्था नहीं ह।, रात को लेजर लाइटिंग और उसके संवाद सुनने के बाद लोगों में वहाँ से निकलने में जल्दी रहती है, ऐसे में वहाँ भगदड़ मचने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
आवाजाही के लिए जो सड़क है, बेहद संकीर्ण है। पर्यटकों को ठहरने के लिए विश्रामा स्थलों का अभाव है।
बताया जाता है कि आदियोगी हिमालय में प्रकट हुए थे। वे परमानंद में मगन होकर यहां पर योग मुद्रा में कभी शांत मुद्रा में बैठ जाते थे तो कभी योग के अलग-अलग मुद्रा में बैठे नजर आते थे। इस अवस्था को ध्यान में रखते हुए यहां शिवजी का प्रतिमा स्थापित की गई है जिसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की भीड़ जुटती है लेकिन दुर्भाग्य है कि मंदिर प्रशासन व तमिलनाडु सरकार इस पर्यटन स्थल को सजाने और संवारने में दिलचस्पी नहीं ले रही है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)