
-धीरेन्द्र राहुल-

कोटा कोचिंग शहर है। देशभर के विज्ञान के विद्यार्थी मेडिकल/ आईआईटी/ एनआईटी/ ट्रीपल आईटी की तैयारियों के लिए कोटा आते हैं।
मेरे मन में एक भ्रान्त धारणा रही है कि राजस्थान में विज्ञान विषय लेकर 12 वीं करने वाले छात्र/ छात्राओं की संख्या शायद देश में सर्वाधिक होगी। लेकिन आज शिक्षा मंत्रालय का सर्वे सामने आया तो बड़ा धक्का लगा कि सबसे ज्यादा साइंस पढ़ने वाले देश के टाॅप पांच राज्यों में राजस्थान का कही नाम ही नहीं है। इस मामले में हम फिसड्डी हैं।
आंध्रप्रदेश पहले नंबर पर है। वहां 78% छात्र-छात्राएं विज्ञान पढ़ रहे थे। दूसरे नंबर पर मणिपुर 68.4 फीसद, तीसरे नंबर पर तमिलनाहु 65.9 फीसद, चौथे नंबर पर तेलंगाना 65.1और पांचवें नंबर पर उत्तरप्रदेश 62 फीसद है। यानि साइंस पढ़ने के मामले में भी हमारे देश में दो इंडिया हैं।
बंगाल में 14.6 % और पंजाब जैसे समृद्ध राज्य में सिर्फ 16.4% छात्र साइंस स्ट्रीम लेते हैं।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12 वीं साइंस के 2024 के रिजल्ट देखे तो 8,68,860 स्टूडेंट्स में से सिर्फ 2,60,078 ने ही साइंस से 12 वीं पास कीं जो 29 .91 फीसद बैठता है। हमारे यहां आर्ट्स से 12 वीं करने वालों का आंकड़ा देखकर आप चौंक जाएंगे। करीब 5 लाख 78 हजार 494 ने आर्ट्स विषय लेकर परीक्षा पास की, यह संख्या साइंस विद्यार्थियों की लगभग दुगुनी है।
आर्ट्स में रोजगार के अवसर सीमित हैं लेकिन आपको डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, वैटेनरी, नर्सिंग में जाना है तो साइंस जरूरी है। इसलिए विज्ञान की शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए भजनलाल सरकार को काम करना चाहिए।
स्वयं केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि जिन राज्यों के छात्र विज्ञान में कम रूचि लेंगे, वहां डॉक्टर, इंजीनियर कहां से आएंगे? इसके अलावा दसवीं में सर्वाधिक फेल होने वाले टाप पांच राज्यों में राजस्थान पाचवें पायदान पर है। यहां 1,00,048 बच्चे दसवीं में फेल हुए हैं।
अच्छी शिक्षा की बात चलती है तो वनस्थली विद्यापीठ, मेयो काॅलेज, सोफिया, सेण्टपाॅल्स, सेंट जेवियर की बात लोग करते हैं।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री खुश हैं कि राजस्थान में 80 लाख विद्यार्थी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आइना दिखाया है कि दौड़ में हम कही नहीं हैं?
कुछ कीजिए भजनलाल जी! विज्ञान की शिक्षा को मजबूत बनाए बिना आप बड़े पैमाने पर युवक- युवतियों को रोजगार भी नहीं दे पाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)