मुफ्त की रेविडयां प्रभावित नहीं कर रही दिल्ली के मतदाताओं को!

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-देवेंद्र यादव-

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-देवेंद्र यादव-

क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी का मुफ्त में बिजली और पानी देने का मुद्दा मतदाताओं को आकर्षित नहीं कर रहा है। क्या इसीलिए आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल परेशान से नजर आ रहे हैं।
इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में यूं तो सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने जनता को मुफ्त में रेवडियां देने की झड़ी लगा दी है, मगर क्या मतदाताओं पर इसका असर होगा। यदि अरविंद केजरीवाल के चेहरे और बातों पर नजर डालें तो लगता नहीं है कि दिल्ली की जनता को मुफ्त में देने की योजनाओं का कोई खास असर पडने वाला है। जिक्र अरविंद केजरीवाल का इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मुफ्त में मतदाताओं को चुनावी रेवड़ी बांटने का सिलसिला आम आदमी पार्टी ने ही शुरू किया था। दिल्ली की जनता को बिजली और पानी मुफ्त में दिया था। अब दिल्ली में इस लाइन पर देश की सबसे बड़ी भारतीय जनता पार्टी और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी की लाइन को पकड़ लिया और उन्होंने भी अपनी गारंटियों की घोषणा दिल्ली के मतदाताओं के बीच कर दी। इस कारण दिल्ली का मतदाता खासकर मिडिल क्लास परेशान भी है और भ्रमित भी। इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए अलग से घोषणाएं की है। मगर इन तमाम घोषणाओं के बाद भी अरविंद केजरीवाल के चेहरे और बातों से लग रहा है कि वह परेशान है। अरविंद केजरीवाल की परेशानी की झलक सबसे पहले उस समय दिखाई दी जब उन्होंने और आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर दिल्ली की वोटर लिस्ट में हेर फेर करने का खुला आरोप लगाया। अब जबकि मतदान की तिथि बिल्कुल नजदीक है और अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर एक और आरोप लगा दिया कि भाजपा के लोग झुग्गी झोपड़ी के मतदाताओं के वोट खरीद रहे हैं उनकी उंगलियों में काली स्याही लगाकर उनके वोट को खराब करेंगे ताकि उनका वोट नहीं पड़ सके। मगर यहां एक सवाल खड़ा होता है क्या अरविंद केजरीवाल झुग्गी झोपड़ी के मतदाताओं को सतर्क कर समझा रहे हैं या फिर उन्हें धमकी दे रहे हैं। क्योंकि अरविंद केजरीवाल बता रहे हैं कि झुग्गी झोपड़ी वालों आप भारतीय जनता पार्टी के झांसे में मत आना और अपनी अंगुली पर स्याही मत लगवाना वरना पुलिस पकड़ कर ले जाएगी और जेल में बंद कर देगी। केजरीवाल को भारतीय जनता पार्टी से इतना डर क्यों लग रहा है और केजरीवाल कांग्रेस को हल्के में क्यों ले रहे हैं। कहीं केजरीवाल को भारतीय जनता पार्टी को मजबूत और कांग्रेस को कमजोर समझना महंगा ना पड़ जाए।
राहुल गांधी ने जिस प्रकार से अंतिम समय में जो चुनावी बिसात बिछाई उसे हल्के में लेना केजरीवाल की भूल होगी क्योंकि दलित मुस्लिम और पूर्वांचल के मतदाता दिल्ली में बड़ा उलट फेर कर सकते हैं। कांग्रेस के मिशन संविधान बचाओ आरक्षण बचाओ अभियान ने दलित और मुस्लिम वर्ग के बुद्धिजीवी वर्ग को कांग्रेस के पक्ष में खड़ा कर दिया है जो अंडरग्राउंड अपने समाज में कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं। वही पूर्वांचल के मतदाताओं का मत कांग्रेस को मिले इसके लिए बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। दिल्ली का आम मतदाता जो तटस्थ रहता है। उस पर भी राहुल गांधी का असर ज्यादा ही नजर आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस को हल्के में लेना केजरीवाल के लिए महंगा साबित ना हो जाए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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