भीगते पेड़ ने कहा

86b0f5af de37 4b5b 8023 f3a4c9d79d0f

-विवेक कुमार मिश्र

vivek mishra 162x300
डॉ. विवेक कुमार मिश्र

भीगते पेड़ ने कहा कि रुक जाओ
कहां जा रहे हो
फिर ऐसी भी क्या जल्दी है
रुक जाओ यहां से भी कुछ न कुछ कर ही सकते हो
कुछ नहीं तो संसार को देख समझ सकते ही हो
जल्दी मत मचाओ….
भीग जाओगे
ऐसी भी क्या जल्दी
जो भीगते भीगते जा रहे हो
मान लो कि तुम बीमार हो गए
फिर तुम्हें और तुम्हारे घर को
कौन संभालेगा …?
पड़ोस भी अब , इस तरह बसे नहीं मिलते कि
कुछ नहीं तो एक दूसरे का हालचाल ही पूछ लें
चलते-चलते कुछ काम-धाम भी कर लें
सब बस अपने में ही मगन रहने को
सबकुछ मान बैठे हैं
किसी के लिए किसी के पास कुछ नहीं है
पेड़ के यहां तो हर समय
इतनी जगह रहती है कि
कोई भी कहीं से आकर
थोड़ी देर ही सही बैठ जाएं
पेड़ सबकी सुनने के लिए बैठा रहता है
तुम नहीं भी आओगे तो पेड़ बुरा नहीं मानेगा
अगली बार जब तुम हताशा से घिरे होंगे
तो फिर आ जाना
पेड़ के यहां साथ और जगह
दोनों ही मिल जायेगा
इस तरह पेड़ हर समय में
अपनी उपस्थिति
एक बेहतर पड़ोसी की तरह रखता है
जो बिना किसी बात के ही बात करता है
समय समय पर हालचाल लेता रहता है
पेड़ों को यह भी पता होता है कि
तुम कबसे यहां नहीं आएं हो
और कब तक नहीं आओगे
फिर भी हर मौसम है सबसे पहले
पेड़ ही जागते हैं और निकल पड़ते हैं
सबका हालचाल लेने
पेड़ हैं तो छांव भी देंगे और राहत भी देंगे
कुछ करों या मत करो पर पेड़ के रूप में
अपने दोनों तरफ
बायें और दायें एक एक पेड़
लगा कर रखो , शायद जब कोई भी न हो
आस-पास तो
पेड़ तुम्हारे साथ बातें करने के लिए,
हंसने गाने के लिए …
और खिलखिलाने के लिए रहेंगे।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments