
-देवेंद्र यादव-

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा राजस्थान में 11 सीट गंवाने के बाद, राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का अब क्या भविष्य होगा ?
लेकिन राजनीति के जानकार ओम बिरला के लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बनने के बाद, समझ रहे हैं कि अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कुर्सी पर खतरा कम होगा। दिल्ली में ओम बिरला की राजनीतिक मजबूती के कारण राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहले से अधिक मजबूत दिखाई देंगे।
क्योंकि राजनीतिक हलकों में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से यह चर्चा थी कि शर्मा बिरला की पसंद हैं। हाडोती संभाग में भारतीय जनता पार्टी के गलियारों से भजन लाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह चर्चा तेज थी कि राजस्थान में मंत्रिमंडल के गठन से लेकर अधिकारियों की नियुक्ति तक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बहुत बड़ी भूमिका है।
2024 के लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपनी पूरी राजनीतिक और प्रशासनिक ताकत कोटा संसदीय क्षेत्र पर लगा रखी थी जहां से ओम बिरला चुनाव लड़ रहे थे। क्योंकि कोटा लोकसभा सीट हॉट सीट थी। कोटा सीट पर ओम बिरला के सामने कांग्रेस की बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल को पार्टी में शामिल कर अपना प्रत्याशी बनाया था !
प्रहलाद गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता श्रीमती वसुंधरा राजे के खास सिपहसालार थे और राजनीतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भाजपा के हाई कमान के प्रति नाराजगी के समाचार सुनाई दे रहे थे।
लोकसभा चुनाव में वसु मैडम अपने पुत्र भाजपा के झालावाड़ संसदीय क्षेत्र प्रत्याशी दुष्यंत सिंह के क्षेत्र के अलावा अन्य किसी क्षेत्र में भाजपा के लिए प्रचार करने नहीं गई।
वह झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में ही जमी रहीं। झालावाड़ संसदीय क्षेत्र कोटा संभाग में आता है, ऐसे में समझा जा रहा था कि वसु मैडम की अपने हाई कमान से नाराजगी और कांग्रेस के द्वारा वसु मैडम के खास सिपहसालार प्रहलाद गुंजल को प्रत्याशी बनाना, राजनीतिक पंडितों और बिरला समर्थकों के दिलों की धड़कनें बढ़ा रहा था। उन्हें संशय था कि इस बार ओम बिरला को नुकसान ना हो जाए मगर भजन लाल शर्मा ने राजस्थान की अन्य सीटों के अलावा कोटा संसदीय क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया और ओम बिरला और जीत दर्ज कर पाए ?
मुख्यमंत्री भजनलाल लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से जिस तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं उससे लगता है कि उनकी कुर्सी पर आने वाला संकट समाप्त हो गया है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)