
-द ओपीनियन डेस्क-
नई दिल्ली। कौन बनेगा कांग्रेस अध्यक्ष यह सवाल आजकल राजनीतिक क्षेत्रों में तैर रहा है और संशय के बादल हैं कि छंट ही नहीं रहे हैं। अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल दावेदार राहुल गांधी स्थिति साफ नहीं कर रहे हैं। पार्टी के अधिकतर वरिष्ठ नेता उनसे बार-बार अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह कर रहेे हैं। राहुल ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरन कहा भी मैं यह फैसला कर चुका हूं कि पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर मुझे क्या करना है। अगर मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ता हूं तो आप मुझे सवाल पूछ सकते हैं और तब मैं जवाब दूंगा कि मैं अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतरा।
चुनाव की प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर फिर स्वर मुखर
लेकिन चुनाव की प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर फिर स्वर मुखर हो रहे हैं। शशि थरूर समेत पांच सांसदों ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री से आग्रह किया है कि निर्वाचक मंडल की सूची संभावित उम्मीदवारों को प्रदान की जाए। पत्र पार्टी सांसद शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बारदोलोई और अब्दुल खालिक ने पत्र लिखा है। यह पत्र कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो‘ यात्रा से एक दिन पहले छह सितंबर को लिखा गया था। शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम पहले भी निर्वाचक मंडल की सूची को सार्वजनिक करने का आग्रह कर चुके हैं। हालांकि तब मिस्त्री ने इससे साफ इनकार कर दिया। यदि पार्टी को कोई एक सदस्य भी यह मांग करता है तो इस पर गौर होना ही चाहिए। आखिर पार्टी को निर्वाचक मंडल की सूची सार्वजनिक करने में आपत्ति क्यों है?
यात्रा सफल रहती है तो पार्टी को राजनीतिक लाभ होगा
लेकिन एक बात तो साफ है भारत जोडो यात्रा में कांग्रेस जिस तरह से राहुल गांधी के साथ एकजुट होकर खड़ी है, उससे यही लगता है कि सूची का प्रकाशन हो या न हो पार्टी के सबसे ज्यादा शक्तिशाली नेता राहुल गांधी ही रहने वाले हैं। वे निर्वाचित अध्यक्ष होंगे तब भी और अध्यक्ष नहीं बनते हैं तब भी। पार्टी के सूत्र उनके हाथ में ही रहेंगे। पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता बार-बार यह कह रहे हैं कि यदि कोई गांधी अध्यक्ष नहीं बना तो पार्टी के बिखर जाने का खतरा है। इसलिए इस यात्रा से कांग्रेस की सबसे बडी उम्मीद यह जुडी है कि राहुल एक विराट व्यक्तित्व बनकर उभरें और अध्यक्ष पद पर आसाीन हो। यदि कांग्रेस की उम्मीदों के अनुरूप यात्रा सफल रहती है तो पार्टी को इसका राजनीतिक भी लाभ होगा। लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश मेें यात्रा का मार्ग बहुत छोटा रखा गया है जबकि बिहार, बंगाल को यात्रा मार्ग से दूर रखा गया है कि जबकि चुनावी दृष्टि से तीनों ही राज्य बहुत अहम हैं।