क्या भूलूं क्या याद रखूं…

oplus 1048578

मेरा सपना… 27

-शैलेश पाण्डेय-

यूरोप के अविस्मरणीय, रोमांचक और मजेदार दौरे के समापन के अगले दिन हमें वापस लौटना था। हमारे टूर साथी देश और विदेश के अलग अलग हिस्सों से थे इसलिए फ्लाइट भी अलग थीं। किसी को कनाडा तो किसी को दुबई जाना था। लौटने की फ्लाइट सभी ने अपनी सुविधानुसार की थी। टूर मैनेजर राहुल जाधव सुबह तड़के ही कुछ अन्य टूर साथियों के साथ रोम से रवाना हो चुके थे जबकि हमारी फ्लाइट इटालिया एयरवेज थी। बस कैप्टन क्रिस्टीना पर हमारे समेत छह फैमली मेम्बर्स को रोम एयरपोर्ट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी रही। वह सुबह तड़के राहुल की टीम को एयरपोर्ट छोड़ कर आईं और सुबह नौ बजे हमें लेकर गईं।

whatsapp image 2024 09 04 at 19.42.12
रोम एयरपोर्ट के प्रवेश द्वार के समीप इतालवी लिपी में लिखी वॉल के समक्ष मैं और नीलम जी।

हालांकि हमारी टीम में शामिल कुछ लोगों की अलग-अलग फ्लाइट थीं लेकिन सभी का समय लगभग समान था। राहुल ने पहले ही बता दिया कि रोम में ट्रैफिक की समस्या है इसलिए समय से रवाना हों। रोम एयरपोर्ट पर हमें चार घंटे का वक्त बिताना पड़ा क्योंकि फ्लाइट की औपचारिकताओं के अलावा यूरोप में जो भी खरीदारी की थी उसके कटे टैक्स का रिफंड भी लेना था। लेकिन यह काम उम्मीद से अधिक आसानी से हो गया। यूरोप में ऐसे मामलों में हील हुज्जत नहीं करते।

रोम एयरपोर्ट पर फ्लाइट के इंतजार के दौरान अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के उत्पादों की विंडो शॉपिंग का लुत्फ उठाया। जब से इंटरनेट का जमाना शुरू हुआ है ऐसे ब्रांड के बारे में देखने सुनने की वजह से अच्छी जानकारी हो गई।  यह भी मालूम था कि इनकी कीमत अपने वश की नही है। लेकिन देखने में क्या जाता है। रोम एयरपोर्ट इतना विशाल और यात्रियों की भीड़ से भरा है कि थोड़ी भी असावधानी परेशानी में डाल देती है। जहां नीलम जी को बैठाया था एयरपोर्ट पर घूमते समय भूल गया। फ्लाइट का समय होने वाला था और काफी देर तक इधर उधर चक्कर लगाने के बावजूद नीलम जी को नहीं ढूंढ पा रहा था। अजातशत्रु किसी अन्य दिशा में शॉपिंग कर रहे थे। गनीमत थी कि मेरी यूरोप की सिम में काफी बैलेंस था क्योंकि कंजूसी से डेटा का इस्तेमाल किया था। पहले नीलम जी को लोकेशन पूछने के लिए फोन किया तो उन्होंने नहीं उठाया। वह सुरक्षा के लिए पर्स के अंदर छोटे पर्स में मोबाइल रखती थीं। जिसकी एयरपोर्ट पर यात्रियों के कोलाहल में रिंगटोन भी सुनाई नहीं दी। यहां तक कि पूरे यूरोप टूर में उन्होंने मोबाइल फ़ोन से कहीं एक फोटो या वीडियो तक नहीं ली। उनका तो पूरा 15 जीबी डेटा बेकार ही गया। इसके बाद अजात को फोन कर बताया कि किस जगह पर हूं। जहां वह आए और हम तीनों मिल सके।

फ्लाइट में फ़्लाइट अटेंडेंट की जिम्मेदारी मजबूत कदकाठी के स्मार्ट इतालवी युवाओं के हाथों में थी। समय पर नाश्ता, भोजन और पसंद के अनुसार चाय कॉफी दी गई। रोम से दिल्ली की उड़ान सात घंटे की थी। जब दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे और सभी औपचारिकताएं पूरी कर बाहर आए तो राहत की सांस ली। नई दिल्ली में अजात के घर पर पहुंचे तभी टीवी पर सूचना मिली की कंप्यूटर के सिस्टम में किसी खामी की वजह से दुनियाभर में फ्लाइट अटक गईं। इसमें पांच से छह घंटे तक हवाई यात्री परेशान रहे। इस सूचना के बाद हमने यह सोचकर राहत की सांस ली कि हम सही समय पर आ गए।

whatsapp image 2024 09 04 at 19.42.42
रोम एयरपोर्ट की नर्सरी में खेलते बच्चे।

रोम से नई दिल्ली की फ्लाइट के सात घंटे का समय यूरोप दौरे की खट्टी मीठी यादों को दोहराने का था। नीलम जी को अचानक पैर में उठी तकलीफ के बावजूद दौरा एक स्वप्न साकार होने के समान था। अजातशत्रु ने वीजा से लेकर दौरे तक की जिस तरह तैयारी की थी उससे यह पुष्टि हो गई कि वह सही कहते हैं कि उनके प्रोफेशन में स्पेलिंग तो दूर एक कोमा और फुलस्टॉप की गलती की भी गुंजाइश नहीं है। हम दोनों को कोई तकलीफ नहीं हो और जीवन के सबसे बड़े पर्यटन दौरे का पूरा लुत्फ उठाएं अजातशत्रु ने उसके लिए हरसंभव प्रयास किए। जब नीलम जी ने पैर में सूजन आने पर दौरे पर जाने से मना कर दिया था तब भी अजात ने यही कहा था कि मैं हूं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। उसका यह भरोसा अंत तक सही साबित हुआ। उन्होंने पूरे दौरे में एक संवेदनशील और जिम्मेदार अभिभावक की भूमिका निभाई ।

यह अनजान लोगों के साथ करीब दो सप्ताह की अवधि का हमारा पहला दौरा था। लेकिन शायद हम सभी की किस्मत इतनी अच्छी थी कि सभी लोग आपस में ऐसे घुलमिल गए कि कोई समस्या नहीं हुई और सौहार्दपूर्ण वातावरण में सभी जगह का लुत्फ उठाया। विशेषकर टाइम की पाबंदी का सभी ने बखूबी पालन किया। टूर मैनेजर राहुल जाधव तो हीरो निकले। शरीर से इतने मजबूत कदकाठी के नहीं हैं लेकिन उनकी स्मार्टनेस काबिले तारीफ थी। सभी जगह सबसे पहले हाजिर होते और जहां एक साथ जाना होता अगुवाई करते चलते। पूरे टूर में कभी सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक, होटल, पर्यटन स्थलों पर टिकट, गाइड इत्यादि में कोई समस्या नहीं हुई। यह उनके कुशल प्रबंधन का कमाल था कि एक दो जगह को छोड़कर सभी जगह हमें भारतीय रेस्त्रां में ही स्वादिष्ट भोजन मिला। खाने की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी थी। शायद ही कहीं ऐसा हुआ हो कि हम रेस्त्रां में पहुंचे और इंतजार करना पड़ा। इंतजार भी ऐसी जगह करना पड़ा जहां तय समय से पहले पहुचं गए। कहीं कोई ठगी का शिकार नहीं हुआ। इटली जैसी जगह में भी हमारा पर्स से लेकर हर सामान तक सुरक्षित रहा। आगे भी कभी विदेश जाना हुआ तो राहुल जाधव के साथ ही जाना चाहेंगे। राहुल जाधव यूरोप दौरा यादगार बनाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।.

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest


1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
7 months ago

मेरे पौत्र अजातशत्रु पाण्डेय शिक्षा के साथ दैनिक जीवन चर्चा में बहुत ही सुलझे और समझदार हैं.वह एक सफल Corporate lawyer है इसी प्रकार इनकी कार्यशैली भी है.विदेश यात्रा जाने पर संभावित खतरों के प्रति मेरे मन में बहुत चिंता थी क्योंकि जेष्ठ पुत्र शैलेश सपरिवार विदेश भ्रमण में थे और किसी प्रकार की अनहोनी से पूरा परिवार प्रभु होता.मैं परम पिता परमेश्वर पर पूर्ण श्रद्धा और समर्पण रखता हूं,इसी विश्वास ने यात्रा को सुखद और मंगलमय बनाया है,
श्रीराम पाण्डेय कोटा