
-ए एच जैदी-
कोटा। राजस्थान की पहचान रेगिस्तान की वजह से हे लेकिन इसी प्रदेश में हाडोती ऐसा इलाका है जहां रेगिस्तान के बजाय सर्वाधिक हरियाली दिखाई देती है। इसी वजह से यहां जहां मुकुंदरा जैसा अभ्यारण्य है वहीं दर्जनों तालाब हैं जिनमें देशी विदेशी पक्षी कलरव करते नजर आते हैं।

ऐसा ही एक स्थान कोटा जिले के सुल्तानपुर क्षेत्र में उदपुरिया गांव है। हालांकि यह छोटा सा गांव है लेकिन पेंटेड स्टॉर्क यानी जांघिल के कलरव की वजह से इसकी पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों में विशेष आकर्षण है। लेकिन जहां पर्यटन के लिए इस स्थान को विकसित किया जाना चाहिए था उसके विपरीत अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे इस गांव के तालाब का आकार घट रहा है वहीं बबूल के पेड़ों के अभाव में पेंटेड स्टॉर्क भी प्रजनन के लिए यहां आने से मुंह मोडऩे लगे हैं।
पेंटेड स्टॉर्क के 40 घोंसले देखे हैं
एक नेचर प्रमोटर के तौर पर मेरा दशकों से इस स्थान पर आना रहा है। तालाब गांव के घरों के पास होने के बावजूद 1995 में यहां पेंटेड स्टॉर्क के 40 घोंसले देखे हैं। पिछले पांच साल में इस तालाब के दो पेड़ एक बरगद और एक इमली का पेड़ धराशायी हो गया। इसी तरह तालाब के आसपास और अंदर के पेड़ एक-एक कर गिर गए। किसी ने पुराने पेड़ बचाने और नए पेड़ लगाने की जरुरत नहीं समझी। कुछ विभागों की अनदेखी की वजह से धीरे-धीरे पक्षी यहां से दूर होते जा रहे हैं। मैं 28 सालों से नेचर गाइड के नाते पर्यटकों और शोधार्थियों को यहां लाता रहा हंू लेकिन यहां की बदहाल होती जा रही स्थिति को लेकर चिंतित हंू। क्योंकि कोटा को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजना है इसलिए पर्यटन विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
अतिक्रमण से बचाया जाना बहुत जरुरी
इस तालाब को पाल बनाकर अतिक्रमण से बचाया जाना बहुत जरुरी है। यहां के लोगों को तालाब में शौच करने से रोकने की व्यवस्था करनी होगी क्योंकि इससे यह क्षेत्र बहुत गंदा और बदबू मारता है। जब तक तालाब में बबूल के नए पेड़ नहीं लगाए जाएंगे तब तक पेंटेड स्टॉर्क की कल्पना नहीं की जा सकती। उदपुरिया तालाबजिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। उदपुरिया में एक समय केवलादेव बर्ड सेंचुरी के बाद पेंटेड व जांघिल पक्षियों की सबसे बड़ी कॉलोनी थी। पेंटेड स्टार्क पक्षी अपने वंश को बढाने के लिए यहां पर प्रजनन करते रहे। लेकिन बबूल के पेड़ खत्म होने के कारण एक बारगी तो उदपुरिया से पेंटेड स्टार्क का अस्तित्व ही खत्म होने को आ गया था। लेकिन फिर एक बार इस पक्षी ने इलाके का रुख किया। लेकिन अब इसे बचाने के लिए तालाब के संरक्षण तथा पेड़ों को लगाने की जरुरत है।
बहुत ही खूबसूरत पक्षी है पेंटेड स्टॉर्क
पेंटेड स्टॉर्क बहुत ही खूबसूरत पक्षी है। हल्के सफेद रंग पर गुलाबी व नारंगी रंग उसे और भी अधिक आकर्षक बना देता है। लंबी और पतली टांग, नुकीली लंबी चोंच उसे दूसरे पक्षियों से अलग करती है। पेंटड स्टॉर्क अपने घोसले को बनाने के लिए बाहर के तिनके का इस्तेमाल करते हैं। वह जिस भी पेड़ की शाखा पर बैठते हैं, उसके तिनकों का इस्तेमाल घोसला बनाने के लिए नहीं करते हैं बल्कि अन्य शाखाओं से एक-एक तिनके बटोर कर अपना घोंसला बनाते हैं। पेंटेड स्टॉर्क को नेस्टिंग के लिए ऐसे तालाब चाहिए होते हैं जिनमें छिछले पानी में कांटेदार पेड़ हो और मछलियां अधिक हों। पेंटेड स्टॉर्क का वैज्ञानिक नाम माइकटेरिया ल्यूकोसिफाला है। यह भारत के अलावा श्रीलंका, चीन तथा दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों में भी पाया जाता है। पेटेंड स्टॉर्क शांत स्वभाव और एक ही मुद्रा में घंटों खड़ा रहता है। पेंटेड स्टॉर्क स्टॉर्क दुर्लभ प्रजाति में शामिल है। इसे नियर थ्रेटेंड एक संरक्षण की स्थिति में लिया गया।
(लेखक नेचर प्रमोटर एवं ख्यातनाम फोटोग्राफर हैं)
पर्यावरण संतुलन जरूरी है। सभी जीवों का इसमें योगदान है।इनकी अनदेखी भरी पड़ रही है।