
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भक्त पूरी श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं, उन्हें अपनी सभी समस्याओं से राहत मिलती है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है, जिसे कार्तिक स्नान कहा जाता है। यह दिन बहुत विशेष है क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध कर उसका संहार किया था। यही कारण है कि इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। कार्तिक पूर्णिमा पर हाडोती में केशवरायपाटन तथा चंद्रभागा में मेले का आयोजन किया जाता है। चंबल नदी पर केशवरायपाटन में ही सबसे बडा तीर्थ स्थल है। यहां इस अवसर पर 15 दिन तक मेले का आयोजन किया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर केशवराय भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। श्रद्धालु रात ढाई बजे से ही चंबल नदी में स्नान के लिए पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद केशवराय भगवान की सुबह पांच बजे श्रंगार आरती के दर्शन किए।

इस बार चंद्रग्रहण का असर है लेकिन श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं थी। श्रद्धालु पैदल नाचते गाते भगवान के दर्शन के लिए पहंुच रहे थे। कई लोगों ने नाव में सवार होकर नदी में पूजा अर्चना की। मेला भी सजधजकर तैयार है और पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने खरीदारी भी की।



बहुत सुंदर
केशवरायपाटन में चम्बल नदी का जल अत्यधिक प्रदूषित और स्नान करने लायक नहीं है. कोटा शहर के गंदे नाले, जो कोटा बैराज के डाउन स्ट्रीम में गिरते हैं उनका गंदा पानी केशोरायपाटन में जमा रहता है. धर्म प्राण जनता इस गंदे पानी को गंगाजल समझ कर स्नान करती है. प्रशासन को चाहिए था कि कार्तिक पूर्णिमा से पूर्व चंबल बाद से पानी छोड़ती तो केशवरायपाटन के तट पर स्थित गंदा पानी बहकर आगे निकल जाता और श्रृद्धालु स्वच्छ जल में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते.