
मेरा सपना… 25
-शैलेश पाण्डेय-
भारत में जिस तरह वाराणसी को पृथ्वी की धुरी पर बसा शहर माना जाता है वैसे ही इटली की राजधानी रोम को वहां के नागरिक शाश्वत नगर मानते हैं। उनका यह मानना है कि धरती पर चाहे कितनी भी उथल पुथल हो जाए इस शहर का अस्तित्व रहेगा। उनके इस विश्वास का कारण दो हजार साल का रोमन साम्राज्य है जो विश्व इतिहास में सर्वाधिक लम्बा काल माना जाता है। यहां के अद्वितीय स्मारक और प्राचीन अवशेष इस शहर के वैभव को बयां करने के लिए पर्याप्त हैं। यही कारण है कि पर्यटकों के मामले में रोम यूरोप में तीसरे और दुनिया में टॉप 15 शहरों में शुमार है।

एक समय इटली की राजधानी रहे फ्लोरेंस के कलात्मक वैभव का अनुभव लेने के बाद यूरोप दौरे का हमारा अंतिम पडाव रोम था। यहां हमें शहर के आकर्षक स्मारक और पुरातत्व महत्व के स्थलों को देखने के साथ ईसाई धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में एक वेटिकन सिटी भी जाना था।
हमने रात अरेजो में गुजारी थी ताकि सुबह रोम तक के सफर में कम समय लगे। लेकिन रोम तक के ढाई घंटे के सफर के दौरान कई औद्योगिक क्षेत्र, वाइनयार्ड, जौ के खेत तथा फल और पौधों की नर्सरी देखने को मिले। रोम में प्रवेश के बाद बस कैप्टन क्रिस्टीना ने पहले बस में ही शहर के प्रमुख इलाकों की सैर कराई। इस दौरान टूर मैनेजर राहुल जाधव ने गाइड की भूमिका भी निभाते हुए प्रमुख स्मारकों के बारे में जानकारी दी। इनकी तादाद इतनी ज्यादा है कि आपको इन्हें देखने के लिए एक सप्ताह का समय भी कम पड़ेगा । एक जगह हमने इंडियन रेस्त्रां में लंच किया। इसके बाद जहां बस पार्क की गई थी वहां से पैदल ट्रेवी फाउंटेन तक जाना था। राहुल ने पहले ही बता दिया था कि वहां तक जाना आसान है लेकिन आने में परेशानी होगी क्योंकि रास्ता चढ़ाई वाला होगा।
पैदल ही हम रोम की सड़कों की भीड़ के बीच से गुजरते हुए आसपास का आर्किटेक्चर देखते हुए करीब एक किलोमीटर चलने के बाद ट्रेवी फाउंटेन पहुंचे। यह 300 गुणा 200 मीटर की जगह में स्थित होगा लेकिन चारों ओर से सैलानियों का ऐसा सैलाब उमड़ रहा था कि आप एक स्थान पर टिक कर खड़े नहीं हो सकते। इसका कारण भी था क्योंकि इसके बारे में कई किवदंतियां भी हैं। 17वीं शताब्दी में बना ट्रेवी फाउंटेन रोम की सबसे प्रतिष्ठित संरचनाओं में से एक है। यह प्राचीन रोमन जल स्रोत के स्थल पर बनाया गया है। फाउंटेन में चार विशालकाय मूर्तियां हैं जो दुनिया की चार प्रमुख नदियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसमें एक भारत की गंगा नदी भी है।
रोचक किवदंती है कि यदि आप इस फाउंटेन में सिक्का डालते हैं तो आपको रोम पुनः बुलाता है। यदि आप दो सिक्के डालते हैं तो आप आकर्षक इतालवी महिला के प्रेम पाश में बंधते हैं और यदि तीन सिक्के डालते हैं तो आपका उससे विवाह होगा जिससे आपकी मुलाकात होती है। इसके मध्य में बनी मूर्ति को नेपच्यून (वरूण) की पवित्र मूर्ति माना जाता है। यही कारण था कि फाउंटेन में सिक्कों की बौछार हो रही थी और उसके पवित्र जल को छूने की होड़। एक समय इसके सिक्के निकाले जाते हैं और उन्हें चेरिटी के काम में लिया जाता है।
हम भी भीड़ में रास्ता बनाते हुए मुख्य स्थल पर पहुंचे तथा फाउंटेन के जल को हाथ में लिया। एकदम स्वच्छ और शीतल जल जिसे आप बगैर किसी संकोच के पी सकते हैं। हमने श्रद्धा के साथ उससे मुंह पर छींटे मारे। इससे तेज गर्मी में कुछ राहत मिली। करीब आधा घंटा यहां बिताने के बाद हमें वापस बस स्थल तक पहुंचना था। लेकिन पहले भीड़ में से निकलने और फिरचढ़ाई वाली सड़क पार करने में पसीने छूट गए। ऊपर से गर्मी सितम ढा रही थी।

रोम का एक अन्य आकर्षक स्थल और सर्वाेत्कृष्टता का प्रतीक फ्लेवियन एम्फीथिएटर है। इसे कोलोसियम के नाम से जाना जाता है। यह रोमन साम्राज्य का सबसे बड़ा एम्फीथिएटर था। इसका उपयोग शिकार और ग्लैडीएटोरियल मुकाबले जैसे तमाशे आयोजित करने के लिए किया जाता था। इस भव्य और विशालकाय कोलोसियम में प्रत्येक नागरिक आयोजन देख सकता था। ग्लैडीएटोरियल मुकाबलों के बारे में बचपन में इतिहास की पुस्तकों में पढ़ा था जिसमें एक योद्धा दूसरे योद्धा से तब तक युद्ध करता था जब तक कि एक की मौत नहीं हो जाए। लेकिन यह कुछ अच्छा नहीं लगता था क्योंकि ऐसा क्या योद्धा जो लोगों के मनोरंजन के लिए हत्या कर दे। लेकिन यह स्थल इतना विशाल होगा इसकी कल्पना भी नहीं की थी।

यदि आप इस पूरी इमारत को देखना चाहें तो बहुत समय चाहिए लेकिन इसके नजदीक जाने से ही इसकी भव्यता का पता चल जाता है। यह रोम आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण है। हालांकि अब इसकी इमारत जर्जर हो रही है लेकिन इटली प्राचीन इमारतों का संरक्षण में एक मिसाल है। संरक्षण के ऐसे उपाय किए जाते हैं कि इमारत का स्वरूप और उसकी प्राचीनता प्रभावित नहीं हो। जहां हमारी बस पार्क थी वहां से कोलोसियम तक जाने के लिए सड़क दो जगह से पार करनी थी। जाते समय तो नियम का पालन किया लेकिन मैं वीडियो बनाने और फोटो खींचने में व्यस्त था। इस बीच सभी टूर साथी लौटने लगे। अपने टूर साथियों से बिछड़कर कहीं रास्ता नहीं भटक जाऊं इस उधेड़बुन में पैदल यात्रियों के तय स्थान की बजाय बीच से निकलने की जुगाड़ में था। इसी बीच दूर से ही पुलिस के गश्ती दल ने शायद मेरा इरादा भांप लिया और तेजी से सायरन बजाते हुए वहां आ धमका। लेकिन गनीमत थी कि मैंने सड़क पर पैर नहीं रखा था इसलिए बच गया। लेकिन यह बहुत बड़ा सबक था कि आप जिस देश में भी जाएं वहां के नियम और कानून का गंभीरता से पालन करें अन्यथा परेशानी में पड़ सकते हैं।
हम भारतीय सड़क के नियम पालन करने में पीछे क्यों हैं.आये दिन सड़क में होने वाली भीषण हादसों से सीख क्यों नहीं लेते हैं. सांस्कृतिक परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं तथा समरसता वाले सामाजिक मूल्यों वाले देश भारत में ,ऐसी आजादी मिली है ,कि हम नियम, कानून की धज्जियां उड़ानें में विश्वास करने लगे हैं