
मेरा सपना…1
-शैलेश पाण्डेय-
अपने छह दशक के जीवन में निजी कारणों और नौकरी की वजह से देश के कई हिस्सों की यात्रा करने का अवसर मिला। इसमें उत्तर से दक्षिण और पश्चिम से पूर्व तक के कई राज्य और इनके शहर शामिल हैं। लेकिन इन शहरों का भ्रमण ज्यादातर अवसरों पर पर्यटन से ज्यादा अन्य उत्तरदायित्वों की पूर्ति अधिक रहा। सही मायनों में पर्यटन की तो औपचारिकता ही रही। लेकिन करीब ढाई दशक पूर्व पूरे परिवार के पासपोर्ट भी बनाए गए ताकि विदेश भी जा सकें। लेकिन बेटे अजातशत्रु ने ही इसका उपयोग किया और पहला विदेश दौरा स्कूल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जर्मनी का किया। सक्रिय पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद जब कोटा में नए सिरे से जीवन शुरू किया तो यह तय किया था कि अब देश भर में घूमने का लुत्फ उठाएंगे। लेकिन किसी न किसी कारण यह टलता ही रहा। इस दौरान बनारस, अयोध्या जैसी जगह घूमने जाना भी हुआ लेकिन यह धार्मिक पर्यटन तक ही सीमित था।
पिछले वर्ष बेटे ने अपनी मां से अपना पासपोर्ट रिन्यु कराने को कहा। पहले तो हमने उसकी बात को हल्के में लिया लेकिन जब उसने ज्यादा जोर दिया तो मन मारकर पासपोर्ट का नवीकरण करा लिया। पासपोर्ट बनाए जाने की सूचना मिलते ही दिल्ली में कॉर्पाेरेट लॉयर बेटे ने यूरोप दौरे की प्लानिंग शुरू कर दी और कार्यक्रम बना लिया। इस बीच यात्रा से घबराने वाली श्रीमती जी ने यह कहकर मना कर दिया कि इतने लम्बे टूर पर वह नहीं जा सकेंगी। बेटा भी उनकी घबराहट को भांपकर उस समय तो मान गया लेकिन वह नाराज रहने लगा। उसने इस दौरान फोन पर बातचीत भी कम कर दी। एक दिन मैंने उससे फोन पर नाराजगी का कारण पूछा तो उसने बताया कि मैंने आपके साथ विदेश दौरे का कार्यक्रम बनाया था। टूर एजेंट को अच्छी खासी रकम दे चुका हूं। पैसे के नुकसान की तो कोई बात नहीं लेकिन आप लोगों को विदेश ले जाने का मेरा सपना टूट गया। इस पर जब श्रीमती जी को समझाया तो वह मान गईं और हमने विदेश दौरे के लिए हामी भर दी। यूरोप दौरे के लिए मई 2024 में हमने शेंगेन वीजा के लिए आवेदन किया और एक सप्ताह से पहले ही फ्रांस ने हमारा आवेदन स्वीकार कर लिया। इस तरह जुलाई माह में हमारे यूरोप दौरे का कार्यक्रम तय हो गया। शेंगेन वीजा के तहत जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, इटली, लातविया, लिकटेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन और स्विट्जरलैंड देश शामिल हैं। आप शेंगेन वीजा से इन सभी देशों में पर्यटक के तौर पर जा सकते हैं। हमारे दो सप्ताह के यूरोप टूर में फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड, जर्मनी, स्विटजरलैंड, लिकटेंस्टीन, ऑस्ट्रिया और इटली शामिल किए गए थे।

वीजा की सूचना के बाद हमने तैयारी शुरू की। इसमें प्रतिदिन दो तीन किलोमीटर पैदल चलना शामिल था। श्रीमती जी भी प्रतिदिन सुबह पार्क में दो किलोमीटर चक्कर लगाने लगीं और अच्छा महसूस कर रही थीं। इस बीच बेटा आवश्यक कागजों के लिए निर्देश देता रहा जिसे हम जुटाते रहे। आखिर वह दिन आ ही गया जब ऐसे सफर के लिए रवाना होना था जिसकी हमने जीवन में कल्पना भी नहीं की थी। जिन देशों का दीदार करना था उनके बारे में केवल किताबों या लोगों के यात्रा वृतांतों में पढ़ा भर था। क्योंकि मेरी इतिहास, कला, संगीत और खेल में रुचि है इसलिए इन देशों के बारे में अच्छी जानकारी थी। जब पिताजी को यूरोप दौरे के बारे में बताया तो वह बहुत खुश हुए। उन्होंने यह कहते हुए नोटों की गड्डी थमाई कि खूब मजे करना। लेकिन जब उन्हें बताया कि यूरोप में भारतीय मुद्रा नहीं बल्कि यूरो चलेगी तो वह थोड़े निराश हुए लेकिन फिर बोले की एक्सचेंज करा लेना।

हम तीन जुलाई को दिल्ली बेटे के ईस्ट ऑफ कैलाश स्थित फ्लैट पर पहुंचे और नए सिरे से तैयारी शुरू की। वह हमारे छोटे सूटकेस और कम सामान को देखकर चौंक गया। क्योंकि विमान में लगेज को लेकर कड़ी शर्ते थीं इसलिए हम बहुत कम सामान लेकर गए थे। उसने अपने स्तर पर जरूरी सामान और कपड़ों का इंतजाम किया। इस बीच वह हमें सरप्राइज के लिए कहता रहा। क्योंकि मैं आधा दर्जन बार विमान से घरेलू यात्रा कर चुका था लेकिन ये यात्राएं दो से तीन घंटे तक की ही थीं और इसमें सीट पर बैठने की जैसी स्थिति होती है उसको लेकर चिंतित था कि श्रीमती जी नई दिल्ली से पेरिस के नौ घंटे के सफर में इन सीट पर कैसे बैठ सकेंगी क्योंकि इसमें पैर फैलाने के लिए जगह बहुत कम होती है। लेकिन उस समय चिंता कम हो गई जब बेटे ने बताया कि टूर में हमारे ग्रुप के अन्य सदस्य जहां अन्य फ्लाइट से पेरिस पहुंचेंगे वही हम विस्तारा सेवा से चलेंगे। उसने बताया कि अन्य लोगों की फ्लाइट का रास्ते में ठहराव है जिसमें समय बहुत लगता है. इसलिए उसने हमारी सुविधा को देखते हुए नई दिल्ली से पेरिस की सीधी फ्लाइट बुक की है। हालांकि हम अन्य लोगों की अपेक्षा तय समय से चार पांच घंटे देर से पेरिस पहुंचेगे लेकिन विस्तारा में बैठने की सुविधा ज्यादा बेहतर है। आपको सफर में कोई तकलीफ नहीं होगी।

हम तय दिवस छह जुलाई को जब इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर पहुंचे । वहां सुरक्षा जांच से गुजरने से लेकर सामान जमा कराने और आव्रजन की कठिन प्रक्रिया और औपचारिकताओं के बाद जब बेटे ने हवाई अड्डे के बिजनेस क्लास की लाउंज में बैठाया तब सरप्राइज का चक्कर समझ में आया। उसने बताया कि आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप यहां कुछ भी खा पी सकते हैं। आप अत्यधिक सुविधा के साथ यात्रा करेंगे। विस्तारा की सेवा वाकई शानदार थी। बिजनेस क्लास में एयर होस्टेस बार बार आकर विभिन्न प्रकार की ड्रिंक्स तथा खाने पीने की चीजों के लिए पूछतीं।
दो तीन घंटे बाद हम लोग सीट को फैलाकर सो गए। इस तरह नौ घंटे का आरामदायक सफर पेरिस पहुँचने के साथ पूरा हुआ। वहां उस समय रात के साढ़े आठ बज रहे थे लेकिन धूप खिली हुई थी। भारत में उस समय रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे। हमारी भारत की सिम ने काम करना बंद कर दिया था। बेटे ने पहले ही तीनों के लिए मैट्रिक्स कंपनी की सिम ले रखी थीं जो हमारे यूरोप दौरे पर काम आनी शुरू हो चुकी थीं।
मेरे सपनों की यात्रा का स्तंभ बहुत रोचक तथा प्रेरणादायक है मेरे पौत्र तथा नीलम शैलेश के सुपुत्र चि०, अजातशत्रु पाण्डेय ने विदेश भ्रमण का सुखद,आरामदेह कार्यक्रम बनाया इससे आयोजक की परिपक्वता झलकती है….
ईश्वर की महान अनुकंपा से आप सभी को सपनो की उड़ान प्राप्त हुई बहुत बहुत बधाई।