डिज्नीलैंड: मानो दिल की धड़कनों ने जवाब दे दिया…

मेरा सपना …10

-बिग थण्डर माउंटेन रेल रोड का हैरत अंगेज सफर

-इट्स स्माल वर्ल्ड यानी गुडियों का अद्भुत संसार

-शैलेश पाण्डेय-

पेरिस के डिज्नीलैंड की स्टार परेड से प्रभावित होकर हम लोग और आगे बढ़े तो राइड्स नजर आए। यह डिज्नीलैंड के प्रमुख आकर्षणों में हैं. इसीलिए इन पर बहुत ज्यादा भीड़ थी तथा लम्बी लाइनें लगी थीं। एक राइड पर हम भी लाइन में लगे लेकिन आधा घंटा तक नंबर नहीं आया तो बीच से ही बाहर आ गए और पूरे परिसर का एक भ्रमण करने का निश्चय किया ताकि किस राइड्स या गैलरी का लुत्फ उठाना है चयन कर सकें। विशालकाय परिसर का भ्रमण कोई आसान नहीं था। जिस तरह की कृत्रिम केनाल, इमारतें, किले और चट्टाने इत्यादी बनाए गए थे उससे स्पष्ट था कि वाल्ट डिज्नी ने इस प्रोजेक्ट पर अरबों रूपए खर्च किए हैं। परिसर का कुछ भ्रमण करने और कैटलॉग देखने के बाद हमने क्या देखना है और क्या नहीं इसके बारे में तय किया। सबसे पहले ‘इट्स स्माल वर्ल्ड’ को देखने का निश्चय किया। पहली राइड्स की भीड़ के अनुभव को को देखते हुए अजातशत्रु ने प्रीमियम टिकट ले लिए जिससे 15 मिनट में ही नंबर आ गया। हमने कृत्रिम केनाल में छोटी बोट में सवार होकर दुनियाभर का प्रतिनिधित्व करने वाली गुड़ियों के अद्भुत संसार में प्रवेश किया। इसे सेवन सीवेज केनाल नाम दिया गया है। संभवतया सभी महाद्वीपों के प्रतिनिधित्व के लिए यह नामकरण होगा क्योंकि थोड़ी थोड़ी दूरी पर बोट का रास्ता बदल जाता था और उसी के साथ गुड़ियों का पहनावा और संगीत भी। हालाँकि विविध भाषाओं में होने के कारण गीत के बोल समझ नहीं आ रहे थे.

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गुडियों के संसार में बैंडवादन

केनाल के दोनों ओर लगभग 250 से 300 प्रकार की वेशभूषा वाली गुड़ियों को संगीत के साथ गाते नाचते दर्शाया गया था। खासियत यह था कि सभी गुड़ियां जीवंत प्रतीत हो रही थीं। संगीत और गायन का इतना सटीक तालमेल कि सभी गुड़िया का गाने के लिए कब मुंह खुलना है और कब बंद होना है या विभिन्न तरह के डांस में कब सभी को घूमना है एक दम परफेक्ट था। अजातशत्रु ने बताया कि यह ऑडियो-एनिमेटिक्स का कमाल है। बोट की मंथर गति के बावजूद केनाल के दोनों ओर सब कुछ देखना संभव नहीं था इसी वजह से भारत की गुडिया की केवल हल्की सी झलक देख सके। ऐसा महसूस हुआ कि यह पंजाब के भांगड़ा या गिद्दा डांस का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। हमारे साथ और आगे पीछे की बोट में सवार बच्चे गुड़ियों को नाचते गाते देख प्रफुल्लित थे।

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किलेनुमा खंडहर से बाहर नजर आती थंडर माउंटेन ट्रेन ।

इस आकर्षक अनुभव के बाद एक राइड पर पहुंचे तो उसमें बैठे लोगों को खतरनाक तरीके से झटके खाते देखकर मैं तो घबरा गया और उस पर जाने से मना कर दिया। इस पर बेटे ने ‘बिग थण्डर माउंटेन रेल रोड’ के सफर का निर्णय किया। हालांकि यहां और जगह से ज्यादा ही भीड़ थी इसलिए दोनों के लिए प्रीमियम टिकट लिए। लेकिन जैसे ही आगे बढ़े प्रवेश द्वार पर नोटिस बोर्ड लगा था जिस पर दिल और ब्लड प्रेशर के मरीज, कमजोर दिल वालों को इस राइड्स से दूर रहने की चेतावनी दी गई थी। बेटे ने नोटिस बोर्ड देखते ही मुझ से कहा कि आपको ब्लड प्रेशर की समस्या है इसलिए रहने देते हैं। लेकिन प्रीमियम टिकट पर 32 यूरो (लगभग 3000 रूपए) खर्च होने का लालच के साथ सोचा कि यह खड़खड़िया सी रेल पुराने किला नुमा बने खंडहर का सफर कराती होगी। क्योंकि इस दौरान हमारे सामने से निकल भी चुकी थी तब रफ़्तार बहुत धीमी थी। लेकिन जब इसमें बैठे और सफर शुरू हुआ तो एक बार तो लगा कि दिल की धड़कनें ही बंद हो गईं। हालांकि यह पूरा विश्वास था कि यूरोप में सुरक्षा उपाय बहुत सख्त हैं इसलिए किसी तरह का खतरा नहीं है लेकिन जब आप सुरंगों और पहाड़ी से तेज रफ़्तार में जोरदार हिचकोलों के साथ निकलते हो तो स्वतः ईश्वर याद आने लगता है। मैने वीडियो और फोटो के लिए मोबाइल हाथ में ले रखा था लेकिन तेज झटकों और अचानक तूफानी रफ्तार में मुड़ते ही शरीर जिस तरह इधर से उधर होता था मोबाइल को जेब में रखने में ही भलाई समझी क्योंकि जहां शरीर ही काबू में नहीं था वहां मोबाइल को कैसे थामते। कई बार तो ऐसा लगा कि हम बैठे-बैठे उछल गए और सुरंग की छत इतनी नीची थी कि सिर टकरा जाने का भय लगा लेकिन यह भ्रम मात्र था। एक तो ट्रेन की खड़ – खड़ की आवाज बहुत तेज थी दूसरे ट्रेन के अलग अलग कोच में सवार लोग चिल्ला रहे थे। यह समझ नहीं आ रहा था कि वे रोमांचक सफर की खुशी व्यक्त कर रहे हैं या मेरी तरह डर कर चिल्ला रहे हैं। उस परिसर में ऐसी एक नहीं दो से तीन ट्रेन संचालित थीं लेकिन टाइमिंग देखने लायक कि कहीं आसपास नहीं आ पाती थीं। जब यह सफर समाप्त हुआ तो राहत की सांस ली। कुछ देर हम वहां खड़े रहे और ट्रेन में बैठकर सफर करते लोगों को देखते रहे। विश्वास नहीं हो रहा था कि इस उम्र में भी इतना साहस है कि दिल सही सलामत रहा.

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डिज्नीलैंड परिसर का विहंगम दृश्य। यहां बैठने की अच्छी व्यवस्था और जगह जगह खान पान के स्टॉल लगे हैं।

इस रोमांचक सफर ने इतना आत्मविश्वास दे दिया कि ‘पिराट्स ऑफ कैरेबियन’ और ‘फैंटम मैनर’ जैसे डरावने कार्यक्रम तो हम सहजता से देख गए। फैंटम मैनर एक अँधेरी दुनिया की सवारी है। इसमें स्केलटन को इस तरह रखा गया है कि आपको अचानक से डराते हैं जबकि पिराट्स ऑफ कैरेबियन पर फिल्म भी बनी है और समुद्री लुटेरे किस तरह लूट, कत्ल और हिंसा करते थे यह वीभत्स तरीके से दर्शाया गया। दोनों में ही ऑडियो ध्वनी का संयोजन है जो इसे और डरावना बनाता है। डिज्नीलैंड में हम अपना आधे से ज्यादा सफर तय कर चुके थे। ऐसे में थकान होने लगी तो एक जगह बैठकर साथ में लाए लंच के पैकेट से बर्गर और सेण्डविच खाने के साथ कुछ देर सुस्ताने का निर्णय किया। डिज्नीलैंड परिसर में  बैठने की जगह और रेस्टरूम की बहुत अच्छी सुविधा है.

फैंटम मैनर के रोमांचक सफर के लिए छोटी बोट में सवार होते और उतरते पर्यटक।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
1 year ago

डिज़्नीलैंड के कथानक को पढ़कर रोमांच होने लगा, इसका लुफ्त लेने वालों की घिग्घी बंध गई होगी,