नया साल सिर्फ़ तारीख़ नहीं बदलता, आदतें बदलने का अवसर देता है

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फोटो अखिलेश कुमार

✦ नव वर्ष 2026 का ‘प्रिस्क्रिप्शन’ ✦

स्वास्थ्य, उपलब्धि और खुशी — एक नेत्र चिकित्सक की कलम से

डॉ. सुरेश कुमार पांडेय

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डॉ. सुरेश पाण्डेय

नया साल 2026 आते ही मन के भीतर एक नई रोशनी-सी जल उठती है। कैलेंडर का एक पन्ना बदलता है, पर असल बदलाव की पुकार हमारी आदतों, सोच और जीवन जीने के तरीक़े से जुड़ी होती है। नए साल का संकल्प कोई औपचारिक सूची नहीं, बल्कि अपने भविष्य के “मैं” से किया गया एक ईमानदार वादा है—कि मैं अपने शरीर, अपने मन, अपने रिश्तों और अपने काम के साथ बेहतर व्यवहार करूँगा।

दुनिया तेज़ हो गई है। सूचना बहुत है, पर शांति कम। सुविधाएँ बढ़ गई हैं, पर स्वास्थ्य, नींद और संवाद कमजोर होते जा रहे हैं। ऐसे समय में नया साल हमें एक नई दिशा देता है—ऐसी दिशा जो केवल सफल नहीं, बल्कि संतुलित और प्रसन्न जीवन की ओर ले जाती है।

आज “थोड़ा और” की दौड़ ने “पर्याप्त” की समझ को धुंधला कर दिया है। इसी धुंध में हम रोज़मर्रा की छोटी लेकिन निर्णायक आदतों को टालते रहते हैं—समय पर सोना, पर्याप्त पानी पीना, पैदल चलना, परिवार के साथ बैठना, किताब पढ़ना, स्क्रीन से दूरी बनाना और अपनी भावनाओं को समझना।
जबकि सच यह है कि जीवन बड़े फैसलों से नहीं, छोटी-छोटी नियमित आदतों से बदलता है।

नूतन वर्ष 2026 का सबसे सुंदर संकल्प यही हो सकता है कि हम हर दिन 1 प्रतिशत बेहतर बनने की कोशिश करें। यही 1 प्रतिशत रोज़ जुड़कर 365 दिनों में असाधारण परिणाम देता है। संकल्प का अर्थ स्वयं को कठोर अनुशासन में बाँधना नहीं, बल्कि अपनी ऊर्जा को सही दिशा देना है।

स्वास्थ्य: हर उपलब्धि की नींव

सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण संकल्प—स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, क्योंकि बाकी सभी लक्ष्य उसी पर टिके हैं। उत्तम स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। स्वास्थ्य केवल बीमारी का अभाव नहीं, बल्कि ऊर्जा, सहनशक्ति, स्पष्ट सोच और भावनात्मक स्थिरता का नाम है।

रोज़ कम से कम 30–45 मिनट की शारीरिक गतिविधि—चाहे पैदल चलना हो, योग, तैराकी या साइकिलिंग—न सिर्फ़ शरीर, बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाती है। यह तनाव घटाती है, नींद सुधारती है और “खुशी के हार्मोन” (डोपामिन, सेरोटोनिन) बढ़ाकर आत्मविश्वास जगाती है।

दूसरा संकल्प—नींद को सम्मान देना। हम नींद को समय की बर्बादी समझते हैं, जबकि यही शरीर की मरम्मत, मस्तिष्क की सफ़ाई और भावनात्मक संतुलन का सबसे बड़ा साधन है। 7–8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद, तय समय पर सोना-जागना और सोने से पहले स्क्रीन बंद करना—ये छोटे कदम जीवन में बड़े चमत्कार कर सकते हैं।

तीसरा संकल्प—खाने को दवा बनाना, स्वाद को नहीं। संतुलित आहार का अर्थ है रंगों से भरी थाली—हरी सब्ज़ियाँ, मौसमी फल, पर्याप्त प्रोटीन, साबुत अनाज (मिलेट्स) और सीमित चीनी व तला-भुना। क्रैश डाइट नहीं, बल्कि टिकाऊ आदतें अपनाइए।

चौथा—पानी और नियमितता। थकान, सिरदर्द, कब्ज़ और त्वचा की समस्याएँ अक्सर पानी की कमी और अनियमित दिनचर्या से पैदा होती हैं। पानी की बोतल साथ रखना और दिनभर घूंट-घूंट पानी पीना, शरीर की सबसे सरल लेकिन प्रभावी देखभाल है।

मन की सफ़ाई भी ज़रूरी है

पाँचवाँ संकल्प—मानसिक स्वास्थ्य की सफ़ाई। जैसे घर साफ़ किया जाता है, वैसे ही मन को भी। रोज़ 10 मिनट ध्यान, प्राणायाम, जर्नल लिखना या कृतज्ञता के तीन वाक्य लिखना—ये मन को हल्का बनाते हैं। चिंता का इलाज केवल सोचने से नहीं, जीने से होता है—सांस, मौन, प्रकृति और संवाद के माध्यम से।

छठा संकल्प—डिजिटल अनुशासन। 2026 में सबसे महंगी चीज़ आपका ध्यान है। नोटिफिकेशन, अंतहीन स्क्रॉलिंग और तुलना—ये तीनों शांति और उत्पादकता के बड़े शत्रु हैं। भोजन के समय, परिवार के साथ और सोने से पहले “नो-फोन ज़ोन” तय करें। फोन को औज़ार बनाइए, मालिक नहीं।

काम, रिश्ते और अर्थ

सातवाँ संकल्प—काम में गुणवत्ता, जीवन में संतुलन। उत्पादकता का अर्थ 16 घंटे काम करना नहीं, बल्कि सही काम सही समय पर करना है। दिन की तीन सबसे ज़रूरी प्राथमिकताएँ तय करें, ब्रेक लें और “ना” कहना सीखें। घर लौटने के बाद 30 मिनट का “डिकम्प्रेशन रिचुअल” तनाव कम करता है।

आठवाँ संकल्प—रिश्तों में निवेश। करियर, लक्ष्य और उपलब्धियाँ बढ़ती हैं, पर रिश्ते उपेक्षित रह जाते हैं। सप्ताह में एक दिन परिवार के लिए, माता-पिता से नियमित बातचीत, बच्चों के साथ खेल और जीवनसाथी के साथ खुला संवाद—यही जीवन को अर्थ देते हैं।

नौवाँ संकल्प—आर्थिक और जीवन-व्यवस्था की स्पष्टता। अव्यवस्थित वित्त तनाव का बड़ा कारण है। आय-व्यय लिखना, अनावश्यक खर्च घटाना, आपातकालीन फंड और बीमा की समीक्षा—ये भविष्य को सुरक्षित करते हैं। साथ ही, “कम सामान, अधिक सुकून” का नियम अपनाइए।

दसवाँ और सबसे प्रेरक संकल्प—जीवन का उद्देश्य तय करना। उद्देश्य कोई बड़ा नारा नहीं, बल्कि रोज़ के छोटे निर्णयों में झलकता है। सप्ताह में किसी ज़रूरतमंद की मदद, रक्तदान, विद्यार्थियों का मार्गदर्शन या ज्ञान साझा करना—ये जीवन में अर्थ भरते हैं। अर्थ मिलने पर मुश्किलें रुकावट नहीं, कारण बन जाती हैं।

संकल्प निभाने का सूत्र

संकल्पों को “इच्छा” नहीं, आदत बनाइए।
“मैं स्वस्थ रहूँगा” की जगह—“मैं रोज़ 30 मिनट चलूँगा।”
“मैं खुश रहूँगा” की जगह—“मैं रोज़ 10 मिनट कृतज्ञता लिखूँगा।”

लक्ष्य छोटे, स्पष्ट और मापने योग्य रखें। एक दिन चूक जाए तो अपराधबोध नहीं—अगले दिन लौट आइए। याद रखिए, निरंतरता पूर्णता से बड़ी होती है। नूतन वर्ष 2026 का संदेश सरल है—अपने जीवन के दर्शक नहीं, मुख्य पात्र बनिए। जब शरीर स्वस्थ, मन स्थिर और उद्देश्य स्पष्ट होगा, तब खुशी किसी कारण पर निर्भर नहीं रहेगी—वह आपकी आदत बन जाएगी।

आज एक छोटा कदम उठाइए… और फिर रोज़।

आप सभी को नव वर्ष 2026 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

डॉ. सुरेश कुमार पांडेय
लेखक | साइकिलिस्ट | प्रेरक वक्ता | नेत्र सर्जन
सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा

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