
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। कोटा में आज बुद्धि-विवेक के देवता और अशुभ-अमंगल के नाशक गजानंद-गणपति का गणेश चतुर्थी के मौके पर जन्मोत्सव को त्योहार के रुप में संपूर्ण धार्मिक रीति-रिवाज के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने अपने घरों में गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष के साथ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी दिशाओं के स्वामी माने जाने वाले कष्ट मूलाधार चक्र के स्वामी भगवान गणपति की प्रतिमा की स्थापना की और सुबह सवा 11 बजे बाद के शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना के साथ गणपति स्थापना की।
गजानंद की प्रतिमाओं की स्थापना की गई

साथ ही आज पुलिस और प्रशासनिक अनुमति और सुरक्षा बंदोबस्त के साथ शहर के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों में करीब 300 स्थानों पर पांडाल सजाकर धन-एेश्वर्य के स्वामी गजानंद की प्रतिमाओं की स्थापना की गई। एक और जहां कोटा में कई स्वयंसेवी संगठन और पर्यावरण प्रेमी न केवल मिट्टी से बनी मंगलमूर्ति भगवान गणेश की स्थापना पर जोर दे रहे थे और कुछ संगठनों ने लोगों के बीच निशुल्क ऎसी प्रतिमायें भी वितरित की,वहीं दूसरी ओर घरों के लिए मंगलकारी माने जाने वाले भगवान गणपति की प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी हजारों प्रतिमाएं कोटा में पिछले एक सप्ताह में न केवल बनी बल्कि बिकी भी। प्लास्टर ऑफ पेरिस के घोल से विभिन्न प्रकार-आकार के सांचों में ढालकर बनाने के लिए पहचानी जाने वाली कोटा के छावनी की बंगाली कॉलोनी में बनने के बाद पिछले एक सप्ताह में भगवान गणेश की हजारों मूर्तियां बिकी।
मुख्य समारोह कोटा में रंगबाड़ी रोड स्थित खड़े गणेश जी मंदिर में

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवग्रहों के दोष दूर करने वाले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना का मुख्य समारोह कोटा में रंगबाड़ी रोड स्थित खड़े गणेश जी मंदिर में हुआ जहां दो दिवसीय मेला भी लगा। इस प्राचीन मंदिर में आज गणेश चतुर्थी के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया और यह सिलसिला पूरे दिन से रात तक जारी रहा। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण बीते दो साल के बाद इस वर्ष रंगबाड़ी के खड़े गणेश जी के मंदिर ही नहीं बल्कि कोटा शहर के विभिन्न गणेश मंदिरों सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर गणेश चतुर्थी पर आज खास धूमधाम रही। जग में संकट और विपदा के विनाशक माने जाने वाले भगवान गणेश के देवालयों में खास तैयारी के साथ साज-श्रंगार किया गया था और प्रात: ब्रह्म मुहूर्त से ही लंबोदर गजानंद की पूजा-अर्चना का सिलसिला प्रारंभ हो गया था।
गणपति की प्रतिमाओं के पंडाल सजाये

कोटा शहर में गणेश चतुर्थी के मौके पर मंदिरों में ही नहीं बल्कि लोगों ने अपने घरों में मंगलमूर्ति गणेश का पूजन कर लड्डुओं का भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया। शहर भर में जगह-जगह गणपति की प्रतिमाओं के पंडाल सजाये गये व गजानंद की सवारी निकाली गई। श्रद्धालुओं ने पंचदेवों में समाहित विघ्नहर्ता गणेश की प्रतिमाओं को गाजे-बाजे के साथ उनके निर्माण स्थल से अपने घरों में ले जाकर विराजमान किया।
नौ सितंबर को अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर भगवान गजानंद के अवतरण की पौराणिक मान्यताओं के साथ मनाए जाने वाले इस त्योहारों पर आज कोटा में विशेष उत्साह देखा गया जो नौ सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन श्री गणेश विसर्जन के साथ अपने चरम पर होगा। इस दिन कोटा में बड़े पैमाने पर अनंत चतुर्दशी का जुलूस निकाले जाने की पुरानी परंपरा रही है। कोरोना काल के दो सालों के बाद यह बड़ा अवसर आया है जब कोटा में रोग-विपत्ति विनाशक माने जाने वाले विघ्नेश्वर देव एकदंत के जन्मोत्सव पर कोटा में शोभायात्रा निकालकर उनका धूमधाम से विसर्जन करेंगे।
बच्चों में आज खास उत्साह देखा गया। परिवार के बड़े-बुजुर्गों ने छोटे बच्चों को उपहार में ड़ांड़िये भेंट किए जिन्हे बच्चे दिन भर बजाते नजर आए। हालांकि अब यह परंपरा शहरी इलाकों में धीरे-धीरे सिमटती नजर आ रही है। कोटा में भी नये शहर में यह परंपरा गौण सी हो चली है लेकिन पुराने कोटा शहर में अभी भी बच्चे मौहल्ले भर में गीत गाते हुये डांडिये खड़काते नजर आते हैं।


















ऋद्धि सिद्धि के दाता मंगलमूर्ति एक दंत गजबदन विनायक भगवान गजानन का पर्व हर्षोल्लास के साथ कोटा के मंदिर,मठों, गली कूचों और आम लोगों के घरों में मनाया गया। कोटा की नई धान मंडी के पाण्डया ग्रुप के अपार्टमेंट में कमल शर्मा के संयोजन में भगवान् गणपति की स्थापना पूजा अर्चना की गई तथा संगीत संध्या के बाद के पश्चात प्रसादी का आयोजन रखा गया।