बेजोड़ मूर्तिकला, पेंटिंग और वास्तुशिल्प का संगम ‘फ्लोरेंस’

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फ्लोरेंस के मूर्तिशिल्प की एक बानगी। फोटो अजातशत्रु

मेरा सपना…24

-शैलेश पाण्डेय-

उत्कृष्ट मूर्ति कला, पेंटिंग और आर्किटेक्चर का अद्भुत संगम देखना हो तो इटली के फ्लोरेंस शहर से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। फ्रांस की राजधानी पेरिस भी इस मामले में 19 ही रहेगी। माइकल एंजेलो और लियानार्डाे द विंची ने जिस शहर में अपनी कला का कौशल दिखाया हो उसकी उत्कृष्टता का तो सहज ही अनुमान लगा सकते हैं।

पीसा की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद हमें फ्लोरेंस का सिटी टूर करना था। इस बार बस कैप्टन की कमान क्रिस्टीना के हाथों में थी क्योंकि रॉबर्ट 22 घंटे डाइव करने की अपनी अधिकतम सीमा पर पहुंच चुके थे इसलिए यूरोप के नियमों के अनुसार उनको अवकाश अनिवार्य था। क्रिस्टीना दंबग महिला थीं और इटली के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में भी पूरी कुशलता से बस ड्राइव कर रही थीं। कुछ जगह तो उन्होंने अपनी ड्राइविंग और दबंगई का ऐसा जलवा दिखाया कि टूर के सभी साथियों ने तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्द्धन किया। हम करीब डेढ़ घंटे के सफर के बाद फ्लोरेंस पहुंचे। यहां से हमें पैदल ही गाइड के साथ सिटी टूर करना था। इस बार ऐसा गाइड मिला जिसकी अंग्रेजी का उच्चारण हमारी समझ का था।

पीसा की मीनार के अवलोकन के दौरान हुई थकान के कारण नीलम जी समेत चार जने वहीं एक पार्क में ही रूक गए। गाइड ने शुरू में ही हमें फ्लोरेंस की विशेषता के बारे में संक्षेप में बता दिया था। उन्होंने यह भी कहा था पैदल लम्बी दूरी तय करनी होगी लेकिन आप जो कुछ देखेंगे वह आजीवन स्मृतियों में रहेगा। यह बात सही भी निकली।

फ्लोरेंस की दो चीजों ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया। पहली विशालकाय प्राचीन लाइब्रेरी और दूसरा शहर की प्राचीन इमारतों के स्वरूप को अक्षुण्ण रखना। टूर की शुरूआत में ही लाइब्रेरी की विशाल और कलात्मक इमारत को देखकर वहां के लोगों के पठन पाठन के प्रति लगन और ज्ञान का अंदाजा लग गया।

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फ्लोरेंस की प्राचीन लाइब्रेरी।

जब वहां की आर्ट गैलरियों के बारे में सुना और मूर्तिकला को प्रत्यक्ष देखा तो इस लाइब्रेरी की विशालता के महत्व का भान भी हो गया। ऐसे ही यूरोप का सबसे आधुनिक शहर होने के बावजूद बडे ब्राण्डृस के शोरूम भी संकरी सडकों पर थे और बाहर से इमारत का स्वरूप 14वीं और 15वीं सदी का ही था। अंदर उसे आधुनिक स्वरूप दिया था। गाइड ने जिलेटो आइसक्रीम की प्रमुख दुकान पर लगी भीड़ को दूर से दिखाकर कह दिया कि यदि आपके पास लाइन में लगने के लिए दो घंटे का समय हो तो इसका लुत्फ उठा सकते हैं।

गाइड एक-एक चीज की बारीकी से जानकारी देते हुए आगे बढ़ रहे थे। उन्होंने बताया कि फ्लोरेंस की कलात्मक विरासत प्रसिद्ध कलाकारों, लेखकों और बुद्धिजीवियों से प्रभावित है। अनोखी वास्तुकला और पेंटिंग यहां के कई संग्रहालयों और कला दीर्घाओं में दिख जाएगी। शहर की सड़कों और चौराहों पर आप जो मूर्तियां देख रहे हैं यह इसकी एक बानगी है। वास्तुकला तो यहां के हर एक कोने में फैली है।
हम एक चौक जैसी जगह पहुंचे जहां चारों तक वास्तुशिल्प से संपन्न इमारतें थीं। उस समय चौक में किसी फिल्म की शूटिंग की तैयारी थी। कलाकार मेकअप में तैयार थे लेकिन आश्चर्य तब हुआ कि हम लोग तो उन्हें उत्सुकता से देखने को रूके लेकिन अन्य पर्यटकों को कोई परवाह नहीं थी। भारत में तो हजारों की भीड़ उमड़ती है जिसेें संभालने के लिए बाउंसर तैनात करने पड़ते हैं। गाइड ने भी शूटिंग को कोई तवज्जो नहीं दी और अपनी कमेंट्री जारी रखी।

हम जैसे जैसे आगे बढ़ते गए एक से एक वास्तुशिल्प देखने लायक था। फ्लोरेंस के बारे में पहले से जानकारी नहीं होने का अफसोस हुआ क्योंकि इटली का मतलब रोम और पीसा की मीनार तथा फुटबाल था। फुटबाल भी डियागो मेराडोना की वजह से ज्यादा जो इटली में क्लब फुटबाल खेलते थे और तभी उन्होंने 1986 के विश्व कप में अपने खेल कौशल का जादू दिखाया था। वहीं से उन्होंने विश्व फुटबाल में पेले के समान महान खिलाड़ी का दर्जा हासिल किया।

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फ्लोरेंस की एक सडक पर दोनों ओर प्राचीन वास्तुशिल्प की एक समान इमारतों में शोरूम।

हमें फलोरेंस की दो भव्य इमारतों कैटेड्रेल डि सांता मारिया डेल फियोर तथा पलाज्जो वेक्चिओ की वास्तुकला और इनके आकार ने प्रभावित किया। इनके अलावा 13वीं और 15वीं शताब्दी के दौरान के चर्च, चैपल और बेसिलिका भी आकर्षण का केन्द्र हैं। इन सभी में महान वास्तुशिल्पियों, मूर्तिशिल्प कलाकारों, पेंटर्स का योगदान है। यहां की एक और विशेषता चर्म कला है। चमड़े का सामान मशीनों की बजाय हाथ से तैयार किया जाता है। जहां चमड़ा बहुत अच्छा होता है वहीं उसकी सिलाई आला दर्जे की। यहां के जूते, बेल्ट, पर्स जैसे आइटम आपके अमीर होने की निशानी मानी जाती है।
फ्लोरेंस की स्थापना दसवीं शताब्दी में अरनो नदी के किनारे की गई थी तब से इसका इतिहास युद्ध की विभीषिका, सामाजिक उथल पुथल और बाढ़ जैसे खतरों से जूझने का रहा। इसके बावजूद कला के क्षेत्र में इसके बढ़ते कदम कभी नहीं डगमगाए। यदि आप पियाज़ा डेला सिग्नोरिया स्क्वेयर नहीं गए तो माइकल एंजेलो की अद्भुत मूर्तिकला से वंचित हो जाएंगे। माइकल ऐंजेलो के बारे में बहुत पढ़ा था लेकिन यहां आने के बाद उनकी महानता का वास्तव में पता चला। जब रोम के वेटिकन म्यूजियम में उनकी पेंटिंग देखी तो उनके प्रति श्रद्धा और बढ़ गई क्योंकि एक साथ मूर्तिकला, पेंटिंग, वास्तुकला और साहित्य की साधना कोई कैसे कर सकता है। इन सभी क्षेत्रों में माइकल एंजेलो का काम असाधारण था।
अंग्रेजी के डब्ल्यू के आकार का प्रमुख केन्द्र पियाज़ा डेला सिग्नोरिया स्क्वेयर कई पर्यटक स्थलों को अपने में समेटे है। इसमें लॉजिया डेला सिग्नोरिया, उफीजी गैलरी, ट्रिब्यूनल डेला मर्केंजिया का महल और पलाज़ो उगुसियोनी भी शामिल है। पलाज़ो वेक्चियो के सामने असिकुरज़ियोनी जनरली का महल स्थित है। मूर्तिकला की बारीकियों में खोये रहने के दौरान ही राहुल जाधव ने हमें घड़ी दिखाते हुए लौटने का इशारा किया। वापसी में स्ट्रीट कलाकारों को भारी भीड़ के बावजूद अपने कलाकर्म में मगन देखना अलग ही अहसास करा रहा था। लौटते समय ही हमने अरनी नदी में नौका प्रतियोगिता भी देखी। यह केरल में होने वाली प्रतियोगिता जैसी थी। जिसमें कैप्टन ड्रम पर थाप देता है और उसी थाप पर नौका में सवार लोग एक साथ चप्पू चलाते हैं। यह पूर्णतया मनोरंजन के लिए है और इसमें 18 साल से 65 साल तक के प्रतियोगी शुमार थे। एक नौका पर तो ड्रम पर थाप देने वाली कैप्टन बुजुर्ग महिला थी।

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फ्लोरेंस शहर की सुरक्षा के लिए चारों ओर से घेरने वाली दीवार का अवशेष।

फ्लोरेंस के खान पान की अपनी विशेषता है लेकिन यह पूरी तरह नॉन वेज है इसलिए इनके बारे में जानकारी लेने की कोशिश नहीं की। हम बहुत ज्यादा पैदल चलने के कारण थक कर चूर हो चुके थे। ऐसे में किसी तरह बस तक पहुंचना चाहते थे ताकि होटल लौटकर आराम कर सकें। लेकिन जब हम पार्क तक पहुंचे तो नीलम जी ने कहा कि आपने कहां बैठा दिया। यह पेड पार्क है। यहां युवक युवतियां ही आते हैं और आपको यहां तभी बैठने दिया जाता है जब रेस्त्रां में आर्डर करें। लेकिन जिस शानदार अनुभव से हम गुजर चुके थे उसके लिए जो नहीं गए उनके प्रति अफसोस जताते हुए अगले पड़ाव के लिए रवाना हो गए।

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
8 months ago

उत्कृष्ट मूर्तिकला और आर्किटेक्चर के मामले में भारत अद्वितीय है लेकिन यहां इनका रखरखाव पर्यटन की दृष्टि से नहीं हो रहा है साफ सफाई, मेंटीनेंस और स्थानीय लोगों के कटु व्यवहार से पर्यटक आकर्षित नहीं होते हैं.इटली के फ्लोरेंस शहर के वास्तुशिल्प आदि का सटीक वर्णन अनुकरणीय है