आंखें चेहरे लब पत्थर। इस बस्ती में सब पत्थर।।

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प्रतीकात्मक फोटो

– ग़ज़ल- 

 

-अहमद सिराज फारूकी-

ahamad siraj faroqi
अहमद सिराज फारूकी

आंखें चेहरे लब पत्थर
इस बस्ती में सब पत्थर

फ़रियादें अब कौन सुने
इस बस्ती का रब पत्थर

तुझ से रिश्ता जोड़ लिया
फूल मिलें या अब पत्थर

अक्सर हम मजबूरों पर
बरसे बेमतलब पत्थर

कुछ भी कहना मुश्किल है
जाग उठेंगे कब पत्थर

तुम भी चुप हो जाओ सिराज’
कर लो अपने लब पत्थर

–अहमद सिराज फारूकी

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Sanjay Chawla
Sanjay Chawla
1 year ago

तुम भी चुप हो जाओ सिराज’
कर लो अपने लब पत्थर

सिराज भाई के लब पत्थर नहीं हो सकते