
-धीरेन्द्र राहुल-

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
शांति धारीवाल जी पिछले पन्द्रह साल से कोटा उत्तर से विधायक रहे हैं। यह उनके कार्यकाल के अंतिम महीने हैं। कोटा शहर को सजाना उनकी रूचि का क्षेत्र रहा है। इसलिए आज हम जिस खूबसूरत कोटा को देखते हैं, यह सिर्फ पिछले पांच साल का परिणाम नहीं है। यह पिछले पन्द्रह साल का परिणाम है। नालियां बनी, फुटपाथ बने, चौराहे और दरवाजे सजे, मूर्तियां लगी लेकिन कोटा के स्कूल बेनूर होते रहे क्योंकि यह धारीवाल जी की रूचि का क्षेत्र था ही नहीं।
जबकि इस पर भी थोड़ा ध्यान दे लिया होता तो गरीब बच्चों के स्कूल भी स्मार्ट सिटी में देखने लायक होते।
प्राथमिकता का यह सबसे पहला आयाम था जो लगता है कि सबसे अंतिम पायदान पर आकर उपकृत हुआ है।
मैंने कई बार लिखा। नान्ता स्कूल के नए भवन और भवनविहीन राजस्थान के इकलौते संगीत स्कूल के बारे में लिखा। भास्कर ने जीर्ण शीर्ण काॅमर्स काॅलेज का फोटो छापा था। पिछले दिनों मैंने विधायक कोष का पैसा संगीत विद्यालय के भवन निर्माण के लिए देने का निवेदन भी किया था।
आज एक खबर को पढ़कर मेरा ही नहीं हर शहरवासी का दिल खुश हो गया कि धारीवाल जी ने अपने विधायक कोष में संचित 41 स्कूलों और 5 काॅलेजों के लिए 13 करोड़ रूपए जारी करने की स्वीकृति जारी कर दी। इससे सिविल वर्क, हाॅल, रसोई, टाॅयलेट, लैब, कमरे, रैलिंग, कमरों की मरम्मत, पुताई और इंटरलाॅकिंग के काम होंगे। 26 स्कूलों में फर्नीचर और 19 स्कूलों में कंप्यूटर सिस्टम लगाया जाएगा।
देर आयद दुरूस्त आयद लेकिन धारीवाल जी के लिए धन्यवाद तो बनता ही है।
( केजरीवाल ने स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों के समक्ष खड़ा कर नई दिल्ली तो ठीक पंजाब में भी झण्डे गाड़ दिए हैं। यह बात कांग्रेस और भाजपा के जितना जल्दी समझ आ जाए उतना अच्छा है। अन्यथा केजरीवाल का अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा , कब इन दोनों दलों को साफ कर देगा, कह नहीं सकते )
Advertisement