-देवेंद्र यादव-

यूं तो, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सरकार ने अभी तक के कार्यकाल में प्रदेश की जनता को अनेक बड़ी-बड़ी योजना बनाकर सौगात दी है, मगर, राजस्थान विधानसभा के चुनावी साल में, गहलोत सरकार ने प्रदेश की जनता को महंगाई राहत कैंप लगाकर, सबसे बड़ी सौगात दी है। देशभर में महंगाई से त्रस्त, जनता, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान मॉडल की चर्चा करती हुई दिखाई दे रही है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मुख्यमंत्री के तीसरे कार्यकाल में अनेक ऐसी योजनाएं बनाई और लागू की उनकी चर्चा देशभर में सुनाई दी।
राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली हो या प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य का कानूनी अधिकार देने की बात या अब महंगाई राहत कैंप लगाना हो। अशोक गहलोत की योजनाओं ने केंद्र और विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकारों को राजनीतिक रूप से संकट में डाला है। हिमाचल और कर्नाटक में भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत के पीछे एक बड़ा कारण अशोक गहलोत का राजस्थान मॉडल रहा है।
हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत, और भाजपा की हार का कारण, यदि गहलोत का राजस्थान मॉडल रहा है, तो गहलोत के राजस्थान मॉडल की सबसे बड़ी चुनौती 2023 के अंत में स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने खड़ी है। क्या 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अशोक गहलोत के मॉडल पर विधानसभा का चुनाव जीतकर लगातार सरकार बना लेगी।
इन दिनों अशोक गहलोत सरकार और, गोविंद सिंह डोटासरा का प्रदेश कांग्रेस का संगठन दोनों मिलकर, प्रदेश की जनता को महंगाई राहत योजना से लाभ दिलवाने में जुटे हुए हैं।
स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्य और राज्य सरकार के विभिन्न बोर्ड निगम और आयोगों के अध्यक्ष कांग्रेस की एमआरसी योजना को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। राज्य में पहली बार ऐसा देखा जा रहा है जब सरकार के द्वारा प्रदेश की जनता के लिए बनाई गई योजना को जनता तक पहुंचाने के लिए सत्ताधारी नेता और सरकार में बैठे नुमाइंदे एक साथ मिलकर जनता की मदद करते हुए नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की एमआरसी योजना को लेकर गंभीरता और सक्रियता बयां कर रही है कि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को उनकी महत्वाकांक्षी योजना एमआरसी ही कांग्रेस को लगातार दूसरी बार जीत दिलाएगी।
राज्य में पहली बार यह भी देखा जा रहा है, जब बगैर चुनाव लड़े जिन नेताओं को निगम बोर्ड और आयोगों का अध्यक्ष बनाया है और राज्य मंत्री का दर्जा दिया है वह नेता, अपनी सरकार की योजना एमआरसी को लेकर आम जनता के बीच लेकर जा रहे हैं, वरना सौगात में मिली लाल बत्तियां केवल सड़कों पर दौड़ती नजर आती थी, मगर अब सरकारी गाड़ियां जनता के द्वार पर पहुंच रही हैं। ज्यादातर निगम बोर्ड और आयोगों के अध्यक्ष को जिलों में महंगाई राहत कैंपों का प्रभारी बना रखा है।
यदि महंगाई राहत शिविरों में प्रभारियों की बात करें तो अनुसूचित जाति वित्त विकास आयोग के अध्यक्ष डॉ शंकर यादव की परफारमेंस सबसे बेहतर नजर आ रही है। डॉ शंकर यादव अपने प्रभार वाले चित्तौड़ जिले के महंगाई राहत कैंपों में जनता की मदद करते हुए अक्सर नजर आते हैं।
शंकर यादव, उस जिले से आते हैं जिस जिले में दलितों के लिए ना तो पंचायत राज में और ना ही विधानसभा और लोकसभा में आरक्षित सीट है। बावजूद इसके डॉ शंकर यादव डूंगरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महामंत्री रहे और ईमानदारी से अपने जिले के लोगों की और कांग्रेस की सेवा करते हैं। शायद इसीलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने डॉक्टर शंकर यादव को राजस्थान वित्त विकास आयोग का अध्यक्ष बनाया है। डॉ शंकर यादव भी अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट एमआरसी को लेकर गंभीर और सक्रिय हैं।
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत दिलवा आता है या नहीं ?
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान