
हिंदी भाषा की उपस्थिति को केवल भाषिक संरचना, व्याकरण और साहित्य की गूंज भर में नहीं देख सकते बल्कि हमारे जीवन संसार में जो जो नई से नई ध्वनि आ रही है उन सबमें हिंदी है, हिंदी जीवन में, संगीत में, तकनीक में, नेट में, उपकरण से लेकर साफ्टवेयर तक एक साथ जो हिंदी की गति बढ़ी है वह हिंदी की दुनिया को नये सिरे से समझे जाने को कह रही है। आज हिंदी वहीं भर नहीं है जो पठन पाठन तक है उससे कहीं बहुत ज्यादा घर परिवार, जीवन बाजार से लेकर सत्ता संस्थानों तक जो तेजी से हिंदी का विस्तार हुआ है वह हिंदी के लिए जहां गौरव का बोध कराता है वहीं बहुत सारे अन्य लोगों के लिए क्षोभ का भी विषय बन जाता है।
– विवेक कुमार मिश्र-

हिंदी दिवस (14 सितंबर) भाषा के माध्यम से सामाजिक जीवन , स्वाभिमान अपनी उपस्थिति और उस दुनिया को देखने का दिन है जो भाषा के द्वारा रचा गढ़ा गया है। भाषा में आकर व्यक्ति दुबारा से जीवन ग्रहण करता है, उसके व्यक्तित्व को आकार देने का काम, उसके जीवन को रचने का काम भाषा ही करती है। हिंदी भाषा ने एक सामाजिक और संवेदनशील ऐसे मानुष को रचा गढ़ा है जो हर स्थिति में जीवन जीने की ज़िद को लेकर कदम बढ़ाता है। हिंदी भाषा किसी कमतर अवस्था का नाम नहीं है, न ही अवसरों की कमी की जगह है बल्कि हिंदी भाषा उपलब्धि का एक अलग ही संसार उपस्थित करती है, भाषा के प्रति समझ और भाषिक ज्ञान आपको हिंदी की परंपरा, हिंदी के आज और हिंदी के भविष्य से एक साथ जोड़ने की ताकत रखती है। हिंदी भाषा हिंदी समाज की गति को, समझने के लिए अपनी सामाजिक स्थितियों को, समाज की गति को और व्यापक सामाजिक दशाओं को देखने की जरूरत है। हिंदी की परिधि का विस्तार नित्य एक नये कलेवर में हो रहा है। हिंदी को जानने समझने और उसे अलग अलग रंग में पहचानने और जानने वाले की इतनी बड़ी दुनिया है जो जीवन के विस्तार के क्रम में भाषा को समझ और जगह दोनों देने का काम कर रही है। हिंदी भाषा का विकास हमारे समाज के विकास की संरचना को अपने भीतर बहुत दूर तक लेकर चलती है। हिंदी भाषा की उपस्थिति को केवल भाषिक संरचना, व्याकरण और साहित्य की गूंज भर में नहीं देख सकते बल्कि हमारे जीवन संसार में जो जो नई से नई ध्वनि आ रही है उन सबमें हिंदी है, हिंदी जीवन में, संगीत में, तकनीक में, नेट में, उपकरण से लेकर साफ्टवेयर तक एक साथ जो हिंदी की गति बढ़ी है वह हिंदी की दुनिया को नये सिरे से समझे जाने को कह रही है। आज हिंदी वहीं भर नहीं है जो पठन पाठन तक है उससे कहीं बहुत ज्यादा घर परिवार, जीवन बाजार से लेकर सत्ता संस्थानों तक जो तेजी से हिंदी का विस्तार हुआ है वह हिंदी के लिए जहां गौरव का बोध कराता है वहीं बहुत सारे अन्य लोगों के लिए क्षोभ का भी विषय बन जाता है। हिंदी की गति में जीवन समाज और राष्ट्र की गति एक साथ मिली हुई है और इस तरह से हिंदी किसी एक वर्ग तक सीमित होने की जगह सर्व भाषिक समाज की ऐसी जीवित भाषा के रूप में जगह बनायी है कि हिंदी को फिर हम सबकी हिंदी कहते हुए दुनिया भर की हिंदी कहनी पड़ती है। हिंदी के विराट व्यक्तित्व में सबका व्यक्तित्व समाहित है कवि लेखक विचारक से लेकर नौकरीपेशा, नौजवान से लेकर आज की युवा पीढ़ी तक बहुत बड़ी दुनिया है जिसके साथ हिंदी की गति और हिंदी का विस्तार एक साथ गति कर रहा है।
हिंदी, हिंदी भाषा भाषी समाज का उत्सव है, इसे उत्सव के रूप में हर हिंदी भाषी को , हिंदी प्रेमी को और उन लोगों को लेना चाहिए जो हिंदी के विराट बाजार में खड़े हैं। हिंदी दिवस को हिंदी साहित्य तक या हिंदी कवि लेखक तक सीमित करके यदि हम देखते हैं तो सही ढ़ंग से हिंदी की बात नहीं करते न ही आज की हिंदी की बात करते हैं। आज हिंदी बहुत बदल चुकी है। आज हिंदी व्यापक समाज में अपनी भाषायी समाहार शक्ति और भाषा की व्यावहारिक स्थिति के कारण तो जा ही रही है पर उससे कहीं ज्यादा हिंदी की दुनिया का विस्तार दुनिया भर की कम्पनियों द्वारा हिंदी के विराट बाजार के लिए किया जा रहा है। हिंदी का जो आज संसार विकसित हो रहा है वह इंटरनेट तकनीक, साफ्टवेयर कंपनी, मोबाइल एप्लीकेशन डाटा बाजार से लेकर उस पूरी दुनिया के लिए हो रहा है जो अपने उत्पाद को बाजार में लाना चाहते हैं जिनकी आंखों में बाजार , विकास की संरचना और संभावना में हिंदी की उम्मीद और वजन दिखाई दे रहा है वे बहुत तेजी के साथ हिंदी को अपनी दुनिया में स्वीकार रहे हैं। आज हिंदी दिवस मनाते समय आज से चालिस साल पहले की हिंदी की स्थिति पर विचार करने और चर्चा करने का अर्थ है कि आपका हिंदी से सीधे सीधे कोई रिश्ता नहीं है न ही हिंदी के बढ़ते कदम को आप देख रहे हैं आप फिर केवल उस हिंदी की बात कर रहे हैं जो हिंदी के पाठ्यक्रमों में पढ़ाती जाती है पर आज हिंदी पिछले दो दशकों की मोबाइल इंटरनेट नेट क्रांति और सोशल मीडिया की क्रांति से इतनी बदल गई है कि उस हिंदी को जानने समझने और देखने के लिए हमें अपने भीतर एक अलग ही आंख लगानी होगी, उस हिंदी के मूल्य संसार को समझना होगा जो एक साथ जीवन , समाज, व्यवहार और भाषा की दुनिया से होते हुए हमारे बाजार तंत्र को भी समझने समझाने की ताकत रखती है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से लेकर भारत के समूचे जीवन शास्त्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यदि कोई एक भाषा समर्थ है तो वह हिंदी है। हिंदी से हमारा जीवन, व्यक्तित्व और बाजार एक साथ चलता है और आज बाजार जैसे जैसे आनलाईन होता गया वैसे वैसे वह हर आदमी की शक्ति और ताकत को भी पहचानने लगा जिसका परिणाम हुआ कि हिंदी भाषा भाषी समाज को बाजार और नेट कंपनियां सीधे सीधे मार्केटिंग का मुख्य जरिया ही बना दी , इस क्रम में हिंदी की ताकत को समझते हुए हिंदी के मूल स्वरूप को सामने रखते हुए आज की उस हिंदी को भी सामने रखने की जरूरत है जो हर हालात में चलना जानती है, जो पुराने जमाने की नहीं होकर आज की अपनी गति से दुनिया में दौड़ रही है। जो अपनी गतिशीलता में किसी भी गतिज अवस्था को पीछे छोड़ सकती है , उस हिंदी की बात करते हुए आप कभी भी मायूस नहीं हो सकते , आज हिंदी भाषा की विशेषज्ञता हासिल करने का मतलब है कि आपको भाषिक समझ के साथ साथ आज के तकनीकी संसार और तकनीकी प्लेटफार्म की भी जानकारी रखनी होगी जिससे आप अपनी भाषा को, अपनी समझ को अपनी दुनिया को लेकर बहुत दूर तक जा सकते हैं। आज आप एक अबाधित संसार में काम कर रहे हैं तो अवरोध मुक्त होकर हिंदी भाषा के विकास को सामने लेकर चलना होगा जिसमें आपके साथ सारे तकनीकी टूल हों और दुनिया को इन तकनीकी प्लेटफार्म के सहारे आप न केवल अपनी भाषा को बल्कि अपनी उपस्थिति को भी दिखा सकते हैं। इस तरह से आज हिंदी भाषा नये तेवर में हमारा जीवन संगीत है ।
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