
-रामावतार सागर-

कृषक खेत खलिहान है हिंदी
इस दिल का अरमान है हिंदी
सरसों की भीनी खुश्बू है
लहराता सा धान है हिंदी
तुलसी सूर कबीरा मीरा
मीठा सा रसखान है हिंदी
राधा के पायल की रुनझुन
कान्हा की मुस्कान है हिंदी
हम दोनों का मेल कराती
अपनी तो पहचान है हिंदी
इसकी धड़कन से जिंदा हूँ
सच में मेरी जान है हिंदी
अभिव्यक्ति की भाषा मेरी
भावों का उफान है हिंदी
प्रेमचंद प्रसाद सरीखे
इन रत्नों की खान है हिंदी
कितनी नदियां इसमें मिलती
सागर मेहरबान है हिंदी
रामावतार सागर
कोटा, राज.
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