
-देवेन्द्र यादव-

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया था जबकि भारतीय जनता पार्टी केवल 243 सीट जीतकर बहुमत के आंकडे से दूर रही और उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों का समर्थन लेना पडा। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राजनीतिक गलियांरो और मीडिया के भीतर चर्चा होने लगी कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू ढलान पर है और राहुल गांधी का जादू चल रहा है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद चर्चा चार राज्यों हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव पर होने लगी। कहा जाने लगा कि जनता के बीच लोकप्रिय नेता कौन है राहुल गांधी या नरेंद्र मोदी इसका फैसला चार राज्यों में होने वाले चुनाव तय करेंगे। चर्चा यह भी हो रही थी कि यदि इन चार राज्यों में इंडिया गठबंधन ने अपनी सरकार बना ली तो बैसाखी पर चल रही नरेंद्र मोदी सरकार डगमगाने लगेगी। चुनाव आयोग ने चार राज्यों में से हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव की घोषणा की मगर महाराष्ट्र और झारखंड को हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद चुनाव कराने के लिए छोड़ दिया। हरियाणा और जम्मू कश्मीर में पहले दिन से लग रहा था कि दोनों राज्यों में इंडिया गठबंधन अपनी सरकार बनाएगा मगर जब चुनाव परिणाम आए तो हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने और जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस ने अपनी सरकार बनाई। कांग्रेस की दोनों राज्यों में सरकार नहीं बन सकी। 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी का जो जादू देखा गया था वह जादू हरियाणा और जम्मू कश्मीर में नहीं चला और एक बार फिर से नरेंद्र मोदी ने सिद्ध किया कि देश में अभी भी उनका जादू बरकरार है। महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव की घोषणा हो चुकी है फिर से चर्चा होने लगी है कि महाराष्ट्र और झारखंड में किस नेता का जादू चलेगा और किस पार्टी की सरकार बनेगी।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को मिली निराशा के बाद राहुल गांधी महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने बड़े नेताओं की एक फौज महाराष्ट्र में तैनात कर दी है। अशोक गहलोत, भूपेंद्र सिंह बघेल, सिंह देव, सचिन पायलट जैसे बड़े नेताओं को पूरे राज्य की जिम्मेदारी नहीं देकर संभाग स्तर पर जिम्मेदारियां दी है। कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए महाराष्ट्र और झारखंड का विधानसभा चुनाव करो या मरो वाला है। कांग्रेस को महाराष्ट्र, झारखंड हर हालत में जीतना होगा, वरना लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी को मिली प्रतिष्ठा पर महाराष्ट्र और झारखंड हारने के बाद ब्रेक लग जाएगा।
इसलिए राहुल गांधी ने जिस प्रकार से अपने राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को संभाग स्तर पर तैनात किया है वैसे ही विधानसभा क्षेत्र में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिव कुमार के नेतृत्व में अपने विधायकों को तैनात कर जीताने की जिम्मेदारी दे देनी चाहिए। कर्नाटक महाराष्ट्र का सीमावर्ती राज्य है। कई स्थानों पर कर्नाटक के नेताओं का महाराष्ट्र पर प्रभाव पड़ेगा।
सवाल यह भी है कि क्या महाराष्ट्र और झारखंड में भी हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसा परिणाम देखने को मिलेगा। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनाएगी और झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की जम्मू और कश्मीर की तर्ज पर सरकार बनेगी। कांग्रेस और राहुल गांधी को इसे ध्यान में रखकर महाराष्ट्र और झारखंड की चुनावी रणनीति बनानी होगी। कांग्रेस के सामने भारतीय जनता पार्टी है जो हारी हुई बाजी को जीतना जानती है। कांग्रेस को महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव को करो या मरो की स्टाइल में लड़ना होगा। महाराष्ट्र में यह भी हो सकता है कि शरद पवार की पार्टी को कांग्रेस और शिवसेना से अधिक सीट मिले और शरद पवार की पार्टी भी जम्मू और कश्मीर की तरह अपनी सरकार बनाते हुए नजर आए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)