शाहबाद की सुरम्य घाटियों के वैभव और सौंदर्य की सुरक्षा संवाद यात्रा का उद्देश्य

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बारां। शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र में लगने वाले पम्पड़ स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए काटे जाने वाले शाहबाद जंगल को बचाने को लेकर चलाया जा रहा शाहबाद बचाओ आंदोलन पर्यावरण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह की संवाद यात्रा से और उग्र हो उठा है। गांव गांव ढाणी ढाणी के लोगों में सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद होते जा रहे हैं। बारां जिले की शाहबाद तहसील में इसका बहुत ज्यादा विरोध किया जा रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ता रोबिन सिंह की आवाज के साथ ही लोगों के बीच सुगबुगाहट,विरोध,आक्रोश की हवा चल गई है।
ज्ञातव्य है कि केन्द्र सरकार और राजस्थान सरकार ने हैदराबाद की निजी बिजली परियोजना स्थापित करने वाली कम्पनी ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को वन प्रत्यावर्तन की नीति से संबंधित एक फैसला लिया है जिसके तहत इस जंगल में लाखों पेड़ों को काटा जाएगा और इस कम्पनी को जंगल काटकर साफ समतल जमीन अपना 1800 मेगावाट बिजली प्लांट लगाने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।इसके विरोध में स्थानीय ,संभागीय,प्रांतीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यावरण प्रेमियों,वन्य जीव संरक्षणवादियों द्वारा शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के तहत ” शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन” किया जा रहा है।
समिति के आमंत्रण पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता रोबिन सिंह द्वारा बारां जिले में पांच दिवसीय संवाद यात्रा की जा रही है जिससे इस आंदोलन का स्वर मुखर हो गया है।
संवाद यात्रा के तीसरे दिन मुंडियर में ग्रामवासियों से रूबरू होते हुए अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता रोबिन सिंह ने कहा कि ” एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री द्वारा एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर लाखों पेड़ों को एक निजी बिजली कम्पनी के लिए काटे जाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। हाल ही में मार्च में राजस्थान की सरकार मिशन हरियालो राजस्थान के क्रियान्वयन के साथ 2025 _26 तक 10 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखने की घोषणा करती हैं वहीं दूसरी ओर राजस्थान के कश्मीर शाहबाद में 25 लाख से 28 लाख पेड़ों को काटने की मंजूरी देती है। आखिर सरकारें करना क्या चाहती हैं।”
ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद द्वारा लगाए जाने वाले पम्पड़ स्टोरेज पावर प्लांट से प्रभावित हो रहे ग्राम कलोनी में गांव वासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ” शाहबाद की सुरम्य घाटियों के वैभव और सौंदर्य की सुरक्षा संवाद यात्रा का उद्देश्य है,यहां के आदिवासियों की पुश्तैनी आजीविका बचाना संवाद यात्रा का उद्देश्य है न कि विकास को रोकने का उनका कोई प्रयास है।”
मुंडियर से कलोनी गांव तक पैदल मार्च करते हुए पर्यावरण प्रेमियों की संवाद यात्रा का नेतृत्व रोबिन सिंह के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता और शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति बारां के संरक्षक प्रशांत पाटनी कुन्जेड ने किया। उनके साथ दिल्ली निवासी सोनिया और रीना के अलावा पूर्व सरपंच जितेंद्र कुमार ओझा,कलोनी गांव के वाशिंदों लीलाधर,प्रताप सिंह,जितेन्द्र पंडित,शशांक श्रोत्रिय,मूलचंद ओझा,रामहेत कुशवाहा,बृजेश यादव ,मुक्केबाज और पर्यावरण प्रेमी गब्बर सिंह यदुवंशी समेत अन्य कई लोगों ने यात्रा की ।गांव गांव जाकर समझाइश की ।
संरक्षक प्रशांत पाटनी ने कहा कि” स्थानीय लोगों को इस परियोजना में नौकरियां दी जाने की झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं।सीधे साधे गरीब किसानों की जमीन औने पौने दामों में खरीद कर दलालों के द्वारा कम्पनी को ऊंचे दाम में बेची जा रही है।गरीब किसानों को ठगा जा रहा है। जल जंगल जमीन के लिए काम करने वाले लोग इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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