शाहबाद जंगल में 332 से अधिक औषधीय गुणवत्ता वाली पेड़ों की प्रजातियां, इनके कटने से आयुर्वेद के क्षेत्र में बड़ा नुकसान

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बारां। जिले की शाहबाद तहसील में ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद को अपनी बिजली परियोजना स्थापित करने हेतु केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लाखों पेड़ों को काटे जाने के विरोध में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पर्यावरण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने संवाद यात्रा कार्यक्रम के दौरान शाहबाद के समरानियां कस्बे में कहा कि ” शाहबाद के जंगल हमारी प्राकृतिक विरासत है जिसे किसी भी हाल में नहीं कटने दिया जाएगा। एक निजी बिजली परियोजना स्थापित किए जाने के लिए लाखों पेड़ों को काटा जाना गैर वाजिब है। हमारे आदिवासी समुदाय के लोग पीढ़ियों से इसी जंगल से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।”
नुक्कड़ सभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि” यह जंगल बारां ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान की आन बान और शान है।इसके लिए आगे आकर हम सभी को अपने हक के लिए संघर्ष करना होगा।”
समरानियां कस्बे में पदयात्रा में शामिल हुए आंदोलन के सदस्य और मुक्केबाज गब्बर सिंह यदुवंशी तथा झालावाड़ से शामिल शशांक श्रोत्रिय ने कहा कि” शाहबाद जंगल हमारा कश्मीर है जिसमें 332 से अधिक औषधीय गुणवत्ता वाली पेड़ों की प्रजातियां पाई जाती हैं।इनके कटने का मतलब आयुर्वेद के क्षेत्र में बहुत बड़ा नुकसान है जिसकी भरपाई कभी भी नहीं हो सकती।
कस्बे के प्रमुख बाजारों में निकाली गई इस संवाद यात्रा में काफी तादाद में लोग शामिल हुए और शाहबाद संरक्षित वन अभ्यारण्य क्षेत्र में ग्रीनको प्लांट लगने के विरोध में अपना समर्थन व्यक्त किया।
मामोनी ग्राम में आयोजित नुक्कड़ सभा और पदयात्रा में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पर्यावरण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने कहा कि ” जब तक हम नहीं जागेगें सरकार द्वारा हमारे अधिकारों को दबाया जाता रहेगा।”
स्थानीय व्यापारी और ग्रामवासी जितेंद्र ओझा पूर्व सरपंच,जितेंद्र शर्मा कलोनी,बृजेश कुमार कलोनी, प्रताप सिंह,मूलचंद ओझा तथा अन्य ग्रामवासी लीलाधर ने कहा कि ” रोबिन सिंह जी ने हमारे अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाकर आंदोलन में नई जान फूंक दी है यदि जरूरत पड़ी तो आधुनिक युग का चिपको आंदोलन करने से नहीं चूकेंगे।”

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