
-राजेन्द्र गुप्ता
शिव पवित्रारोपण, जिसे शिव पवित्रारोपण भी कहा जाता है, सावन के महीने में भगवान शिव को समर्पित एक विशेष धार्मिक संस्कार है। यह श्रावण शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य पूजा में हुई अनजाने में हुई गलतियों को ठीक करना है। इस दिन, भक्त भगवान शिव को पवित्र धागा (यज्ञोपवीत) या माला अर्पित करते हैं।
शिव पवित्रारोपण का महत्व
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यह एक ऐसा संस्कार है जिसके माध्यम से पूजा में हुई गलतियों को सुधारा जाता है।
यह भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति व्यक्त करने का एक तरीका है।
यह सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का एक अभिन्न अंग है।
यह भक्तों को आध्यात्मिक शुद्धि और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
शिव पवित्रारोपण कैसे किया जाता है?
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सावन शुक्ल चतुर्दशी को, भक्त उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
वे शिवलिंग पर जल, दूध, चंदन, फूल, बेलपत्र आदि चढ़ाते हैं।
इसके बाद, वे भगवान शिव को पवित्र धागा या माला समर्पित करते हैं।
पूजा के दौरान, भक्त “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं।
अन्य जानकारी
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शिव पवित्रारोपण को वार्षिक पवित्रारोपण भी कहा जाता है, जो आषाढ़, श्रावण या भाद्रपद की अष्टमी या चतुर्दशी को किया जाता है।
पवित्रारोपण के लिए, भक्त किसी भी पवित्र धागा, माला या कुशा का उपयोग कर सकते हैं।
जो लोग मोक्ष चाहते हैं, वे कृष्ण पक्ष में और अन्य लोग शुक्ल पक्ष में पवित्रारोपण करते हैं।
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, और पवित्रारोपण इस पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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