
-राजेन्द्र गुप्ता
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सनातन धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही विशेष चीजों का दान करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु अगले चार महीने तक क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं, जिसकी वजह से इस अवधि के दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
देवशयनी एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त
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वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर होगा। ऐसे में 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी व्रत किया जाएगा।
देवशयनी एकादशी व्रत पारण टाइम
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एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर करना चाहिए। इस बार देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 07 जुलाई को किया जाएग। इस दिन व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय व्रत का पारण किया जा सकता है।
देवशयनी एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान
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देवशयनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस गलती को करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
इसके अलावा एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े न पहनें।
घर की सफाई का खास ध्यान रखें।
किसी के बारे में गलत न सोचें।
क्यों सो जाते हैं श्री हरि?
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हरि और देव का अर्थ तेज तत्व से है। इस समय में सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेज कम होता जाता है। इसलिए कहा जाता है कि देव शयन हो गया है। यानी देव सो गए हैं। तेज तत्व या शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं। कार्यों में बाधा आने की सम्भावना भी होती है। इसलिए देव सोने के बाद शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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