
-राजेन्द्र गुप्ता
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हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि पाने के लिए व्रत रखा जाता है। गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इस वर्ष गुप्त नवरात्र की नवमी तिथि 15 जुलाई को है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।
कब मनाई जाती है भड़ली नवमी?
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सनातन धर्म में भड़ली नवमी का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। इसके लिए किसी ज्योतिष की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। भड़ली नवमी को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। वर्तमान वर्ष में भड़ली नवमी के दिन विवाह समेत सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त है।
भडल्या नवमी की तिथि
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भडल्या की नवमी तिथि 3 जुलाई को दोपहर में 2 बजकर 7 मिनट शुरू हो जाएगी, जो 4 जुलाई को शाम 4 बजकर 33 मिनिट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को मनाई जाएगी।
धार्मिक महत्व
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ज्योतिषियों की मानें तो भड़ली नवमी तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस तिथि पर शुभ कार्य करने के लिए ज्योतिष गणना की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किसी भी समय जातक अपनी सुविधा के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। इस तिथि पर शुभ कार्य करने से अक्षय तृतीया के समतुल्य फल प्राप्त होता है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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