चिड़ियाघर यहीं रहेगा,एक भी पेड़ नहीं कटेगा

-पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों को बांधे रक्षा सूत्र, माता की चुनरियां

कोटा। पर्यावरण संस्थाओं ने बुधवार प्रातः नयापुरा स्थित प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर चिड़ियाघर को बचाने के क्रम में पेड़ों को रक्षा सूत्र, माता की चुनरियां बांधकर मां के नाम पेड़ बचाने का आह्वान किया।
इस अवसर चम्बल संसद,बाघ -चीता मित्र, इंटेक, कोटा एनवायरमेंटल सैनिटेशन सोसायटी, पर्यावरण गतिविधियों की अमृतादेवी पर्यावरण नागरिक संस्थान के सदस्यों ने “चिड़ियाघर यहीं रहेगा,एक भी पेड़ नहीं कटेगा। पेड़ बचाओ मां के नाम, पेड़ लगाओ मां के नाम आदि नारे लगाए। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक निधि -इंटेक प्राकृतिक विरासत प्रकोष्ठ के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय,डा आरके जैन,ए एच जैदी, कौशिक गायत्री परिवार के संचालक यज्ञदत्त हाडा, पर्यावरण गतिविधियों के महानगर प्रमुख वेद प्रकाश शार्दूल, पवन भटनागर,ईको क्लब उदयपुरिया के अध्यक्ष डॉ एल एन शर्मा, आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य सुधीर श्रंगी, वरिष्ठ छायाकार डीके शर्मा, ज्योति सक्सेना , पीयूष बंसल, रितेश जैन, सुरेश चतुर्वेदी, वीरेंद्र सिंह शक्तावत आदि प्रमुख रहे। वैद्य सुधीर श्रंगी ने बताया कि इस चिड़ियाघर में 200 से अधिक वृक्ष है जिनमें 100 -150 वर्ष आयोजन आयु के है। 8 वृक्ष तो दुर्लभ प्रजातियों के है जिसमें बातमखीरा,कैंथ, इमली,धावन,पिलरवन, अर्जुन, जामुन, अशोक प्रमुख हैं। अनेक का औषधीय महत्व है इनका संरक्षण जरूरी है। नीलगिरी जिसे यूकेलिप्टस भी कहा जाता है चिकित्सा में उपयोगी है। कहीं नहीं दर्ज नहीं है कि ये पेड़ ज्यादा पानी खींचता है। हां दल-दल वाली जगह पर ज्यादा लगाया गया है। इन प्राचीन पेड़ों पर हजारों परिंदों, लंगूर का बसेरा है। चिड़ियाघर रेस्क्यू सेंटर के रूप में चल रहा है जहां आज भी घड़ियाल, मगरमच्छ रखें जा रहे हैं।
चाणक्य नगर प्रमुख बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि इस पेड़ को लेकर भ्रांतियां दूर होनी चाहिए कि यह भुगर्भ जल ज्यादा खींचता है।
वेद प्रकाश शार्दूल ने कहा कि शीघ्र ही जिला कलेक्टर के माध्यम से लोकसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री को अगले चरण में ज्ञापन सौंपा जाएगा। आवश्यकता हुई तो चिपको आंदोलन भी चलाया जाएगा। उम्मीद है कि सरकार इस धरोहर को बचाने में सहायक होगी।

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